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    क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में आज से मरीजों को करेंगे डिस्चार्ज

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 24 Dec 2018 11:32 AM (IST)

    सोमवार 24 दिसंबर की शाम से ओपीडी बंद करने और मरीजों को डिस्चार्ज करने, 25 से पूरी तरह अस्पतालों को बंद रखने का ऐलान किया गया है।

    क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के विरोध में आज से मरीजों को करेंगे डिस्चार्ज

    हल्द्वानी, जेएनएन : निजी अस्पतालों और क्लीनिकों से जुड़े डॉक्टर क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईसी) के विरोध में बंद पर अड़े हैं। सोमवार 24 दिसंबर की शाम से ओपीडी बंद करने और मरीजों को डिस्चार्ज करने, 25 से पूरी तरह अस्पतालों को बंद रखने का ऐलान किया गया है। इसे लेकर मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी।

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    आइएमए के अध्यक्ष डॉ. डीसी पंत का कहना है कि हमारा सीईसी को लेकर विरोध नहीं है। उसमें कठिन नियम हैं। इससे लालफीताशाही हावी हो जाएगी। उत्तराखंड में इन नियमों का पालन करना संभव नहीं है। इसलिए इस एक्ट में संशोधन होना चाहिए। एक्ट को लेकर सरकार बंद करे, इससे पहले हम लोगों ने अस्पतालों व क्लीनिकों को खुद ही बंद करने का निर्णय लिया है। 24 दिसंबर की शाम से ओपीडी बंद कर दी जाएगी। शाम से मरीजों को डिस्चार्ज करना शुरू कर दिया जाएगा।

    बंद करना ठीक नहीं : मेयर

    मेयर डॉ. जोगेंद्र रौतेला ने आइएमए के कार्यक्रम में कहा कि अस्पतालों को बंद करना कोई समाधान नहीं है। सरकार इस विषय पर काम कर रही है। वह खुद भी इस मामले में मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे।

    समर्थन में आइडीए, बंद नहीं करने वाले क्लीनिक संगठन से होंगे बाहर

    इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आइडीए) ने भी क्लीनिक बंद रखने का ऐलान कर दिया है। प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य डॉ. गौरव जोशी का कहना है कि 25 दिसंबर से सभी क्लीनिक बंद रहेंगे। किसी तरह का धरना व प्रदर्शन नहीं होगा। अगर इस दौरान कोई क्लीनिक खुला रहेगा तो उसे एसोसिएशन से बाहर कर दिया जाएगा। डॉ. गौरव का कहना है, सीईसी में बदलाव को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य सचिव से वार्ता हो गई है, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका।

    सरकारी डॉक्टरों ने काला फीता बांधकर जताया विरोध

    बेस अस्पताल व महिला अस्पताल के डॉक्टरों ने भी काला फीता बांधकर विरोध जताया। डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें सातवें वेतन आयोग के अनुसार एनपीए नहीं दिया जा रहा है। साथ ही उन्होंने 133 डॉक्टरों को पीजी की मान्यता दिलाने की मांग की है।

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