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    Nainital High Court में डिजिटल अरेस्ट मामले की सुनवाई, अदालत ने टेलीकॉम कंपनियों को जारी किया नोटिस

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 05:00 PM (IST)

    नैनीताल हाई कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई जारी रखी। शिकायतकर्ता सुरेंद्र कुमार ने पुलिस द्वारा परेशान करने की शिकायत की जबकि सरकार ने सात मुकदमे दर्ज होने की जानकारी दी। कोर्ट ने जांच अधिकारियों को रिकॉर्ड के साथ उपस्थित रहने के निर्देश दिए और टेलीकॉम कंपनियों व केंद्र सरकार के विभाग को नोटिस जारी किया।

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    कोर्ट ने जांच अधिकारियों से भी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद रहने को कहा। File

    जासं,  नैनीताल। हाई कोर्ट ने "डिजिटल अरेस्ट" कर ठगी करने के मामले में दायर याचिका की जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को भी सुनवाई जारी रखी है। कोर्ट ने जांच अधिकारियों से भी व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में मौजूद रहने को कहा।

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    गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता हरिद्वार निवासी सुरेंद्र कुमार की तरफ से प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि पुलिस उन्हें ही नोटिस देकर परेशान कर रही है जबकि उन्होंने कोई फ्रॉड नहीं किया गया।

    इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पुलिस ने अभी तक ऐसे ही सात मुकदमे दर्ज किए हैं। जिसने फ्रॉड किया है। अभी भी जांच जारी है। मुकदमे दर्ज करने वाले दोनों जांच अधिकारी मय रिकार्ड के साथ कोर्ट में उपस्थित है। कोर्ट ने गुरुवार को भी उन्हें रिकार्ड के साथ कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं।

    कोर्ट इस मामले का संज्ञान लेते हुए टेलीकॉम कंपनियों व उससे संबंधित केंद्र के विभाग को जवाब प्रस्तुत करने का नोटिस जारी कर चुका है। हरिद्वार निवासी सुरेंद्र कुमार ने याचिका दायर कर कहा गया कि करीब एक माह पूर्व दो अलग अलग फोन नंबरों से उन्हें फोन कर उन्हें अपर जिला जज देहरादून की अदालत से गैर जमानती वारंट जारी होने व 30 हजार रुपये तत्काल जमा करने को कहा गया । इस राशि को जमा करने के लिए जिला देहरादून के नाम सहित चार अन्य स्कैनर भी दिए गए।

    याचिकाकर्ता के अनुसार इस फर्जी फोन कॉल्स व स्कैनर की जानकारी हरिद्वार पुलिस को दी जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई । आये दिन फर्जी फोन कॉल के जरिये लोगों को डिजिटल अरेस्ट की खबरों व इस घटना का संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस कोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका के रूप में सुनने का निर्णय लिया है।