Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    बाबा बागेश्‍वर धाम ने ली विदा, बोले- 'उत्तराखंड के पत्थर-पत्थर में देवत्व का वास'; लोगों से किया एक वादा

    Updated: Sat, 24 May 2025 06:06 PM (IST)

    बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने रामनगर में ऊर्जा संचय समागम में उत्तराखंड को देवभूमि बताया। उन्होंने कहा कि यहां के कण-कण में देवत्व है। भोजपुरी अभिनेता मनोज तिवारी और रितेश पांडे ने भी आशीर्वाद लिया। शास्त्री ने नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और संस्कारों को बनाए रखने का संदेश दिया और जल्द ही रामनगर में कथा करने का वादा किया।

    Hero Image
    बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री। जागरण

    जासं, रामनगर। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री की अध्यक्षता में चल रहे तीन दिवसीय ऊर्जा संचय समागम का शनिवार को समापन हो गया। अंतिम दिन भोजपुरी अभिनेता व भाजपा नेता मनोज तिवारी एवं भोजपुरी अभिनेता रितेश पांडे ने शास्त्री का आर्शीवाद लिया। दोनों अभिनेता ध्यान सत्र में भी शामिल हुए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देर रात तक समागम में स्थानीय कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक धार्मिक कार्यक्रम भी किए गए।पंडित शास्त्री कलाकारों की प्रस्तुति से काफी खुश नजर आए। उन्होंने कहा प्रस्तुति ने जीवंत चित्रण किया।देवभूमि उत्तराखंड की परंपराओं को आत्मसात करते हुए यहां की मिटटी को प्रणाम कर रहे हैं। हम सभी का उत्तराखंड आने का सौभाग्य मिला। यह भी अपने आप में एक ऊर्जा संचय समागम है।

    देवभूमि है उत्तराखंड

    उत्तराखंड आए उसमें भी नैनीताल आए। जहां एक ओर नीब करोरी बाबा हैं, बैजनाथ महादेव हैं। जागेश्वर महादेव हैं। बागेश्वर बागनाथ हैं। आदि शक्ति भगवती का नैना देवी विराजमान है। देवभूमि है उत्तराखंड। उत्तराखंड के पहाड़ में देवताओं का वास हैं।

    उत्तराखंड के पत्थर पत्थर में देवत्व का वास है। आगे बढ़ेंगे एक तरफ ऋषिकेश, हरिद्वार है तो दूसरी तरफ केदारनाथ बदरीनाथ भगवान है। बदरीनाथ से आगे सतोपथ में कम लोग पहुंच पाते हैँ। आज भी सतोपथ में कई लोगों को मानव शरीर में देवताओं का आभास हुआ। उन्होंने आदि ब्रदीनाथ, आदि केदारनाथ, गुप्त केदारनाथ, गुप्त बदरीनाथ , गुप्त बद्री, गंगोत्री, यमनोत्री, रूद्रप्रयाग, त्रियुगीनारायण आदि स्थानों का जिक्र किया।

    उत्तराखंड ही वह जगह है, जहां भगवान शंकर का विवाह हुआ। जहां सात फेरे हुए हैं, अभी भी वहां धुनी जल रही है त्रियुगीनाराण के पास। उत्तराखंड देवभूमि काफी अदभुत हैं। उत्तराखंड में सिख परंपरा का दिव्य स्थान हेम कुंड साहब है। लक्ष्मण की तपस्या का केंद्र भी यहीं है। गया में जिन पित्रों का उत्थान नहीं हुआ हो वह ब्रह़्मकपाल पवित्र स्थान में हो जाता है। पूरा उत्तराखंड देवत्व से भरा हुआ है। देव तीर्थ में रहने वाले लोग भी देवत्व स्वरूप ही है।

    अपने संस्कार मत भूलो

    जासं, रामनगर: उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति के लिए समर्पण का भाव होना चाहिए। नई पीढ़ी के लिए कहा कि कितने भी मार्डन हो जाओ। विचार कितने भी आधुनिक हो जाए लेकिन संस्कार पुराने ही रखने चाहिए। खूब अंग्रेजी जमाने में जीओ, पढ़ो उसी में रहो। लेकिन सभ्यता अपनी पुरानी होनी चाहिए।

    मातृभूमि से जुड़ी सभ्यता होगी तो सबसे अलग पहचाने जाओगे। अंग्रेजी सीखने के बाद अपनी भाषा भूलनी नहीं चाहिए। मातृभाषा मत भुलाओ, हर संस्कृति का सम्मान करो, लेकिन अपनी संस्कृति में जीयो।

    फिर आने का वादा

    रामनगर: पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि ऊर्जा संचय समागम कार्यक्रम दो सौ शिष्ट परिवार के साथ साधना शिविर था। कालांतर में हम रामनगर में सामूहिक कथा करेंगे। जिसमें संपूर्ण रामनगर क्षेत्र के सभी प्रियजनों से मिलकर बालाजी की अर्जी भी लगाएंगे और कथा भी सुनाएंगे।