देहरादून का मास्टर प्लान निरस्त, अफसरों पर पांच लाख का जुर्माना
हाई कोर्ट ने देहरादून का मास्टर प्लान निरस्त कर इसको पास करने से संबंधित अधिकारियों पर पांच लाख जुर्माना लगाया है।
By Edited By: Published: Fri, 15 Jun 2018 07:41 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 05:03 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने देहरादून का मास्टर प्लान निरस्त कर इसको पास करने से संबंधित अधिकारियों पर पांच लाख जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने देहरादून के चाय बागानों को पूर्व की स्थिति में लाने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा है कि नए मास्टर प्लान में सभी मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। देहरादून के एमसी घिल्डियाल ने याचिका दायर की थी। जिसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ द्वारा जनहित याचिका में तब्दील कर दिया गया। याचिका में दून की 2005 से 2025 की महायोजना को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया है कि महायोजना तैयार करते समय उत्तर प्रदेश महायोजना व विकास अधिनियम-1973 के प्रावधानों के साथ केंद्र सरकार द्वारा 1988 तथा 2001 में जारी अधिसूचना में दून घाटी को ईको सेंसटिव जोन घोषित किया गया था। दून घाटी में किसी भी परियोजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी थी। पर सरकार द्वारा बिना केंद्र के अनुमति के दून की महायोजना को लागू कर दिया। यहां तक की मास्टर प्लान में प्राकृतिक जल निकासी का कोई मानक नहीं रखा। योजना में 124 एकड़ भूमि को खुर्दबुर्द कर दिया गया। ईस्ट होप टॉउन, के टी स्टेट के चाय बागान को जेसीबी द्वारा अन्यत्र स्थापित किया गया है। केंद्र से तीन साल में नहीं मिली अनुमति नैनीताल : कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार द्वारा दाखिल जवाब में कहा गया कि महायोजना बनाते समय 16 सितंबर 2005 को केंद्र सरकार को अनुमति के लिए पत्र भेजा गया था। पर तीन साल तक अनुमति नहीं मिली तो 2008-2013 में सरकार द्वारा मास्टर प्लान लागू कर दिया। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद मास्टर प्लान पास करने वाले अफसरों पर पांच लाख जुर्माना लगाते हुए देहरादून के मास्टर प्लान को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्लान बनाते समय सभी चीजों का ध्यान रखें। साथ ही दून के टी स्टेट को पूर्व की तरह बनाने के निर्देश दिए हैं।
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