पुलिस ने जिस गांव को गोद लिया उसी में अंतरजातीय विवाह करने वाले दलित नेता जगदीश चन्द्र की हत्या
Dalit leader Jagdish Chandra murder अल्मोड़ा जिले के पनुवाद्योखन गांव में दलित नेता जगदीश चन्द्र की हत्या पुलिस की सुरक्षा में हुई। इसकी तस्दीक सड़क किनारे लगा पुलिस का संकेत बोर्ड खुद कर रहा है। इस बोर्ड में पुलिस ने पनुवाद्योखन गांव को गोद लेने की बात लिखी है।

दीप चंद्र बेलवाल, हल्द्वानी : Dalit leader Jagdish Chandra murder : अल्मोड़ा जिले के पनुवाद्योखन गांव में दलित नेता जगदीश चन्द्र की हत्या पुलिस की सुरक्षा में हुई। इसकी तस्दीक भतरौजखान से 20 किलोमीटर पहले सड़क किनारे लगा पुलिस का संकेत बोर्ड खुद कर रहा है। इस बोर्ड में पुलिस ने पनुवाद्योखन गांव को गोद लेने की बात लिखी है। लानत है कि पूरे गांव की हिफाजत करने वाली पुलिस एक युवक की सुरक्षा नहीं कर सकी।
पनुवाद्योखन वही गांव है, जहां उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) का दलित नेता जगदीश चंद्र रहता था। 21 अगस्त को उसने भिकियासैंण निवासी सवर्ण परिवार की गीता उर्फ गुड्डी से प्रेम विवाह कर लिया था। इसके बाद से ही जगदीश सवर्ण परिवार के ससुरालियों के निशाने पर आ गया था। लगातार मिल रही धमकियां से परेशान होकर वह पुलिस की शरण में गया था।

27 अगस्त को जगदीश ने अल्मोड़ा पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर सुरक्षा की गुहार लगाई। अधिकारियों व पुलिस की लापरवाही का आलम यह रहा कि एक सितंबर को ससुरालियों ने जगदीश का अपहरण कर उसकी निर्मम हत्या कर दी थी।
जगदीश को मौत के घाट उतारने वाले सवर्ण ससुर व सालों को जेल भेज दिया गया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस पनुवाद्योखन गांव को सुरक्षा के लिए पुलिस ने गोद लिया था। उसी गांव के एक युवक की निर्मम हत्या कर दी जाती है। वह भी तक जब वह सुरक्षा के लिए अधिकारियों तक गुहार लगा चुका था।
लापरवाही के लिए जिम्मेदार कौन?
जगदीश को इंसाफ दिलाने के लिए ग्रामीण व उपपा गांव में धरना-प्रदर्शन कर रही है। वारदात के बाद हत्यारों को पुलिस जेल भेज चुकी है। यह बात लोगों के गले नहीं उतर रही है कि जगदीश की शिकायत में लापरवाही का जिम्मेदार आखिर कौन है। एसएसपी या थानाध्यक्ष। खैर, इस पूरे मामले में अभी तक सत्ताधारी नेताओं और अधिकारियों की चुप्पी टूटने का इंतजार है।
गांव गोद लेने का विश्लेषण
- गोद लेने से पुलिस की जिम्मेदारी एक मां की तरह हो जाती है
- गांव के सुरक्षा भी पुलिस की होती है
- कोई शिकायत कर रहा है तो उसका समाधान किया जाता है
- ग्रामीण थाने तक नहीं आते, पुलिस की जिम्मेदारी हो जाती कि वह गांव में जाकर देखे
डीआईजी बोल, पूरे प्रकरण की जांच की जा रही
डीआइजी डा. नीलेश आनंद भरणे का कहना है कि गांव को पुलिस द्वारा गोद लेने वाली जानकारी मिली है। लापरवाही किस स्तर से हुई है, पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। आरोपितों को जेल भेजा जा चुका है।

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