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चीन से तनातनी के बीच सीमा से कुमाऊं का संपर्क ही भंग! जवानों को झेलनी पड़ रही मुसीबत

चीन से तनातनी के बीच उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले से लगती सीमा से संपर्क ही भंग हो गया है। सामरिक महत्व वाला दारमा मार्ग विगत छह माह में मात्र 25 दिन ही खुला रह सका। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग इसे खोलने में असफल साबित हो रहा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 09:08 AM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 09:08 AM (IST)
चीन से तनातनी के बीच सीमा से कुमाऊं का संपर्क ही भंग! जवानों को झेलनी पड़ रही मुसीबत
चीन से तनातनी के बीच सीमा से कुमाऊं का संपर्क ही भंग! जवानों को झेलनी पड़ रही मुसीबत

ओपी अवस्थी, पिथौरागढ़ : चीन से तनातनी के बीच उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले से लगती सीमा से संपर्क ही भंग हो गया है। सामरिक महत्व वाला दारमा मार्ग विगत छह माह में मात्र 25 दिन ही खुला रह सका। जिला प्रशासन की लगातार चेतावनी के बाद भी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग इसे खोलने में असफल साबित हो रहा। ऐसे में मार्ग बंद होने से उच्च हिमालय में स्थित सैन्य और अद्र्धसैनिक बलों की चौकियों तक खाद्य आपूर्ति के साथ ग्रामीणों का माइग्रेशन प्रभावित हुआ है। इस कारण विगत दिनों अग्रिम चौकियों तक हेलीकाप्टर के माध्यम से राशन पहुंचाया जा सका।

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बिना सामान लौटे ग्रामीण

चीन सीमा से लगे उच्च हिमालयी 13 गांवों के ग्रामीण अपने शीतकालीन माइग्रेशन के दौरान बिना सामान के लौटे हैं। मार्ग बंद होने और दारमा में हिमपात के बाद शासन ने ग्रामीणों को एयरलिफ्ट कर धारचूला पहुंचाया। इस दौरान ग्रामीण अपना सामान तक नहीं ला सके। पशु भी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।

पहले चार महीने और अब 25 दिनों से बंद है मार्ग

उच्च हिमालयी भू भाग साल में छह माह के लिए खुलता है। इस अवधि में दारमा के 13 गांवों के ग्रामीण अपने गांवों में जाकर खेतीबाड़ी करते हैं। मानसून प्रारंभ होते ही लगातार 118 दिन मार्ग बंद रहा। मार्ग खुला तो 17 से 19 अक्टूबर की बारिश में बंद हो गया जो अभी तक नहीं खुल सका। ग्रामीणों के साथ सेना और आइटीबीपी को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

पर्यटन बुरी तरह प्रभावित

जिले की तीन उच्च हिमालयी घाटियों में दारमा घाटी सर्वाधिक सुंदर है। इसी घाटी में पंचाचूली ग्लेशियर पड़ता है। इस कारण इसकी तुलना लद्दाख से की जाती है। मोटर मार्ग बनने से पंचाचूली ग्लेशियर तक पहुंचना सरल हो गया था। जिले में सर्वाधिक पर्यटक पंचाचूली ग्लेशियर तक पहुंचने लगे। यहीं पर सर्वाधिक होम स्टे हैं। लेकिन इस बार मार्ग बंद होने से पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। होम स्टे संचालक महेश दताल ने बताया कि दारमा का पर्यटन इस बार शून्य रहा ।

दारमा मार्ग बारिश से बुरी तरह क्षतिग्रस्त

केंद्रीय लोनिवि के ईई विरेंद्र कुमार ने बताया कि दारमा मार्ग बारिश से बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। केंद्रीय लोनिवि की टीम मार्ग खोलने में जुटी है। विषम स्थिति के कारण काम में देरी हो रही है। नागलिंग से सेला तक छह किमी पैदल मार्ग तैयार कर लिया गया है।


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