अल्मोड़ा जेल के अंदर गूंज रहे फरमाइशी गाने, रेडिया जॉकी बने कैदी-बंदी
अल्मोड़ा जेल में अब फरमाइशी तराने गूंज रहे हैं। रेडियो में कैदी ललित खुद एंकरिंग कर कैदियों की फरमाहिश पर संगीत बजाते हैं। जगह-जगह हर बैरक के समीप लगे ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : जेल, रेडिया जिला कारागार अल्मोड़ा में आपका स्वागत है। यह रेडियो प्रसारण अल्मोड़ा जेल में शुरू हो गया है। रेडियो प्रसारण में आरजे का काम खुद कैदी ही करेंगे। कैदी और बंदी अब अपनी पसंद के गाने जेल के अंदर ही सुन सकेंगे। जिला कारागार की कैदियों व बंदियों को तनावमुक्त रखने के लिए रेडियो संचालित किया जा रहा है। वहीं कंप्यूटर का ज्ञान भी दिया जा रहा है। ताकि यहां से निकलने के बाद वह बेहतर जीवन जी सकें।

बीते कुछ माह पूर्व अल्मोड़ा जेल विभिन्न प्रकरणों से सुर्खियों में रहा। जेल में मादक पदार्थ पहुंचने के साथ ही रंगदारी और अन्य मामले सामने आए थे। अब जेल में अभिनव प्रयोग किए जा रहे हैं। ताकि कैदियों और बंदियों को सही दिशा मिल सकें और जब यहां से निकले तो कुछ हुनर लेकर निकलें।
जेल अधीक्षक जयंत पांगती की पहल पर 26 फरवरी 2022 से कैदियों के लिए रेडियो की शुरुआत की गई। रेडियो में कैदी ललित खुद एंकरिंग कर कैदियों की फरमाहिश पर संगीत बजाते हैं। जगह-जगह हर बैरक के समीप लगे साउंड सिस्टम से संगीत की धुन कैदियों को तनावमुक्त कर रही है। इसके अलावा आर्ट आफ लिविंग संस्था की मदद से जेल में बंदियों और कैदियों के लिए कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी रखा गया है। कंप्यूटर में निपुण कैदी मनोज अन्य कैदियों को कंप्यूटर का भी प्रशिक्षण दे रहे हैं। अब तक 12 कैदी प्रशिक्षण में प्रवेश ले चुके हैं। जबकि संस्था की ओर से कुछ और कंप्यूटर दिए जाने की भी योजना है। रेडियो से संगीत की धुन और कंप्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त कर कैदियों का तनाव काफी हद तक दूर हो रहा है।
फरमाइश पर सुनाए जा रहे सदाबहार नगमें
जिला कारागार अल्मोड़ा के रेडियो में कैदी हर दिन अपनी-अपनी फरमाइश दे रहे हैं। निर्धारित समय पर एक सादे कागज में कैदी सदाबहार नगमों की फरमाइश करते हैं। जिसे रेडियो रूम तक पहुंचाया जाता है। दोपहर बाद रेडियो एंकर फरमाइश करने वाले कैदी के नाम की घोषणा के साथ उस नगमे को हर बैरियर तक सुनाते हैं।
प्रौण शिक्षा से भी किया जा रहा साक्षार
शिक्षा के अभाव में कम उम्र में ही अपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने वाले कैदियों को शिक्षित बनाने की भी कवायद की जा रही है। कैदियों को प्रौण शिक्षा से साक्षर किया जा रहा है। अशिक्षित कैदियों को हिंदी वर्णमाला, अपने नाम लिखने आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे सजा पूरी होने के बाद कैदी शिक्षित होने के साथ समाज में बेहतर जीवन यापन कर सकें।
जेल अधीक्षक जयंत पांगती ने बताया कि कैदियों को तनावमुक्त रखने के लिए जिला कारागार रेडियो स्टेशन के रूप में संचालित किया जा रहा है। जिसमें कैदी फरमाइश कर सकते हैं। वहीं कैदियों को कंप्यूटर का प्रशिक्षण और शिक्षित करने की भी कवायद की जा रही है।

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