धूमकेतु एटलस जी 3 अब दिन में भी दिखाई दे रहा है। यह 1.6 लाख वर्षों में होने वाली दुर्लभ खगोलीय घटना है। सोमवार को यह सूर्य के सबसे करीब होगा और मंगलवार से शाम के आसमान में दिखाई देगा। इसकी चमक बृहस्पति और शुक्र ग्रह तक पहुंच सकती है। सोमवार को इसकी चमक 2 से 4 मैग्नीट्यूड तक पहुंच सकती है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल। धूमकेतु एटलस (सी/2024 जी 3) अब दिन के समय में भी नजर आने लगा है। इसकी मनमोहक तस्वीरें सामने आने लगी हैं। अद्भुत चमक लिए इस धूमकेतु पर खगोल वैज्ञानिकों व खगोल प्रेमियों की नजर बनी हुई है। दुनिया के कई देशों के एस्ट्रोनामर इसकी तस्वीरें कैमरे में कैद कर चुके हैं।
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आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडेय के अनुसार यह सूर्य की ओर आगे बढ़ रहा है। सोमवार को वह सूर्य के सर्वाधिक नजदीक पहुंचेगा। यह सूर्य की तेज गर्मी से सुरक्षित बच निकलेगा तो मंगलवार से शाम से आसमान में सूर्योदय के बाद नजर आने लगेगा।
बड़ी बात यह है कि वह आजकल दिन में भी देखा जा रहा है और सूर्योदय से पहले नग्न आंखों से नजर आने लगा है। ब्रिटिश एस्ट्रोनामिकल एसोसिएशन के निक जेम्स ने दिन के उजाले में इसकी तस्वीर खींची है। अंतरिक्ष मौसम पर आधारित स्पेस वेदर की साइट में इसका विवरण दिया गया है। अब यह धूमकेतु बेहद चमकीला नजर आने लगेगा। सोमवार को इसकी चमक 2 से 4 मैग्नीट्यूड तक पहुंच सकती है।
यह सूर्य से काफी नजदीक से गुजरने जा रहा है। तब संभवतः वह शुक्र से अधिक चमकीला हो जाएगा। पिछले वर्ष पांच अप्रैल को इसे पहली बार देखा गया था। तभी से खगोल वैज्ञानिकों की नजर इस पर बनी हुई है।
बहरहाल धूमकेतुओं पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि यह 20 सालों के अंतराल में सर्वाधिक चमकदार धूमकेतुओं में एक होगा। जिसकी चमक संभवतः बृहस्पति व शुक्र ग्रह तक पहुंच सकती है। यदि अनुमान सही साबित हुआ तो अगले सप्ताह यह दुनियाभर के लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।
दुर्लभ है यह खगोलीय घटना
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरू के रिटायर्ड खगोल विज्ञानी प्रो आरसी कपूर के अनुसार यह दुर्लभ खगोलीय घटना है, जो 1.6 लाख वर्ष बाद होने जा रही है। यह घूमने वाला धूमकेतु है। इसकी कक्षा अंडाकार है। सोमवार को यह 13987400 किमी की दूरी से सूर्य के निकटतम कक्षा के बिंदु से गुजरेगा।
यदि यह सूर्य की तेज ऊष्मा से बच निकलता है तो बेहद चमकदार बन जाएगा। इसकी कक्षा बुध की कक्षा के ठीक अंदर स्थित है और इसके करीब से गुजरने वाले धूमकेतु नग्न आंखों की दृश्यता तक पहुंचने के लिए काफी चमकते हैं। शुक्र से आगे निकलने के बाद यह अदृश्य होने लगेगा। 14 जनवरी से यह शाम के वक्त आसमान में दिखाई देने लगेगा।
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