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    दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन में माहिर हैं सीएमओ डा. भागीरथी जोशी

    By ganesh joshiEdited By: Skand Shukla
    Updated: Mon, 03 Oct 2022 09:09 AM (IST)

    पहाड़ की विषम परिस्थितियों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना हो या फिर कोरोना व डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों में कुशल प्रबंधन करना। हर कठिन परिस्थिति में शांतचित्त होकर समाज सेवा में जुटी रही हैं डा. भागीरथी जोशी। वर्तमान में मुख्य चिकित्सा अधिकारी नैनीताल के पद पर कार्यरत हैं।

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    दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन में माहिर हैं सीएमओ डा. भागीरथी जोशी

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : पहाड़ की विषम परिस्थितियों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना हो या फिर कोरोना व डेंगू जैसी संक्रामक बीमारियों में कुशल प्रबंधन करना। हर कठिन परिस्थिति में शांतचित्त होकर समाज सेवा में जुटी रही हैं डा. भागीरथी जोशी (CMO Dr Bhagirathi Joshi)। वर्तमान में मुख्य चिकित्सा अधिकारी नैनीताल के पद पर कार्यरत हैं। जिन्हें अपने काम से बेहद प्यार है और काम को कभी बोझ नहीं समझती।

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    सेराघाट मूल की कमलुवागांजा रोड हरिपुर नायक निवासी डा. जाेशी ने रायपुर से एमबीबीएस व एमएस के बाद 1990 में सरकारी सेवा ज्वाइन कर ली थी। पहली पोस्टिंग अल्मोड़ा बेस अस्पताल में हुई। इसके बाद वह महिला महिला अस्पताल, नैनीताल, चम्पावत में दुर्गम क्षेत्र की महिलाओं को सेवा प्रदान करती रहीं।

    उनका स्वभाव ही ऐसा था कि कोई भी मरीज उनसे परामर्श लेने पहुंचता तो वह किसी को निराश नहीं करतीं। मनोयोग से मदद का हाथ आगे बढ़ाती रही। प्रभु में आस्था रखने वाली जोशी के पास विपरीत परिस्थतियों में काम करने का लंबा अनुभव है।

    जब इस व्यवहार के बारे में उनसे पूछा गया तो वह कहती हैं, परिस्थतियां कई बार बहुत अधिक विपरीत और कठिनाइयों से भरी रही, फिर भी खुद को असहज नहीं होने दिया। हमेशा कोशिश रही कि अधिक से अधिक मरीजों को लाभ मिल जाए।

    मरीजों की सेवा में ही असली आनंद

    स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के तौर पर डा. जोशी की सेवा सराहनीय रही है। चिकित्सा सेवा के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। वह मरीजों की सेवा में ही असली आनंद खोज लेती है। कई बार डिलीवरी बहुत अधिक जटिल रहती थी।

    दिन भर या फिर रात भर केस करना पड़ता था। वह जुटी रहती थी। इस तरह के केस को लेकर वह बताने लगती हैं, डिलीवरी के दौरान कितनी भी थकान क्यों न हो जाए, पर जब हमारे हाथों से दो जिंदगी बच जाती थी तो थकान गायब। मन प्रसन्नता से भर जाता था।

    बैठक, मरीज, प्रबंधन में भी सहज

    सीएमओ ऐसा पद है, जिस पर चारों तरफ से दबाव रहता है। बैठकें, सिफारिश और फिर स्टाफ मैनेजेंट का दबाव। कोरोना के समय जब फ्रंट लाइन में ड्यूटी करना बेहद मुश्किल था, तब भी सीएमओ ने व्यवहारकुशलता का परिचय देते हुए कुशल प्रबंधन किया था। इस समय डेंगू की रोकथाम में जुटी हुई हैं।