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    कई औषधीय गुणों को समेटे है चित्रक, कुष्ठ रोग व चर्म रोग के लिए है रामबाण

    By Prashant MishraEdited By:
    Updated: Sat, 30 Apr 2022 10:33 PM (IST)

    चित्रक झाड़ीनुमा आकार लिए होता है। इसे अलग-अलग स्थानों पर चित्रा चित्रक चीतावर चित्रकमल के नाम से जाना जाता है। इसकी जड़ मूल की छाल तथा पत्तियां उपचार की दृष्टिï से बहुत उपयोगी है। इसकी जड़ को पानी में घिस कर सफेद दाग में लगाने से समाप्त हो जाता है।

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    कई प्रकार की व्याधियों में रोगी की काया को निरोगी बनाने में यह मददगार साबित होता है।

    जागरण संवाददाता, रामनगर: यदि आपके किसी परिचित को कुष्ठ रोग व चर्म रोग की शिकायत है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। औषधीय गुणों से भरपूर चित्रक का पौधा कुष्ठ रोग को दूर भगाने में पूरी तरह से सक्षम है। केवल कुष्ठ रोग ही नहीं और भी कई प्रकार की व्याधियों में रोगी की काया को निरोगी बनाने में यह मददगार साबित होता है। 

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    संपूर्ण भारत में पाया जाने वाला चित्रक झाड़ीनुमा आकार लिए होता है।  इसे अलग-अलग स्थानों पर चित्रा, चित्रक, चीतावर, चित्रकमल के नाम से जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम प्लुंबोगो जाइलेनिका है। इसकी पत्ती गहरे हरे रंग की गोल किंतु आगे से नुकीली होती है। इसमें सफेद रंग के फूल आते हैं। इसकी जड़, मूल की छाल, तथा पत्तियां उपचार की दृष्टिï से बहुत उपयोगी है। इसकी जड़ को पानी में घिस कर सफेद दाग में लगाने से यह रोग धीरे धीरे समाप्त हो जाता है।  

    इन रोगों में कारगर है चित्रक : चर्म रोग, बवासीर, कृमि रोग, पांडू रोग के अलावा यह कैंसर रोगी के लिए भी उपयोगी बतायी गयी है। 

    सांप के काटने में भी लाभदायक : अगर किसी को सांप ने काट लिया है तो उसे इसकी जड़ का काढ़ा पिलाया जाता है। तथा काटे गए स्थान पर लेप भी लगाया जाता है।

    प्रभारी वन अनुसंधान मदन बिष्ट ने बताया कि  चित्रक की तीन प्रजातियां होती हैं। चर्म रोग व कुष्ठ रोग के अलावा यह कई रोगों में अपना असर दिखाने में माहिर है। चर्म रोग अथवा कुष्ठ रोग से पीडि़त रोगी वर्षाकाल में इसकी शाखा से कलम बनाकर अथवा बीज से पौधे तैयार कर गमले में लगा सकते हैं।