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    माइनस छह डिग्री तापमान में बर्फ में फंसे बच्चों ने मां के साथ भूखे रहकर गुफा में गुजारी रात

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 09 Jan 2020 10:56 AM (IST)

    बर्फ में फंसी मुनस्यारी के समकोट गांव निवासी महिला अपने दो बच्चों के साथ माइनस छह डिग्री तापमान में भूखे-प्यासे गुफा में छिपकर मंगलवार की रात बिताई।

    माइनस छह डिग्री तापमान में बर्फ में फंसे बच्चों ने मां के साथ भूखे रहकर गुफा में गुजारी रात

    पिथौरागढ़, जेएनएन : हिमपात पर्यटकों के लिए जितना आकर्षक होता है, स्‍थानीय लोगों के लिए उतनी ही आफत लेकर आता है। कई बार पर्यटक भी इसकी मुश्किलों से दो चार होते हैं, लेकिल स्‍थाीय लोगों का जीवन इन्‍हीं चुनौतियाें के बीच ही कटता है। अब देखिए न बर्फ में फंसी मुनस्यारी के समकोट गांव निवासी एक महिला अपने दो बच्चों के साथ माइनस छह डिग्री तापमान में भूखे-प्यासे गुफा में छिपकर मंगलवार की रात बिताई। बुधवार सुबह चार किमी ढाई फीट से अधिक मोटी बर्फ में चलने के बाद बच्चों की स्थिति खराब हो गई। इस पर मां ने मदद के लिए शोर मचाना शुरू कर दिया। उसकी आवाज सुन इको पार्क में रहने वाला व्यक्ति देवदूत बन कर आया। उसके प्रयास से मां सहित दो बेटों की जान बच सकी।

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    बर्फ में चलना मुश्किल हो गया तो गुफा में रुकने का लिया निर्णय

    मंगलवार सुबह तहसील मुनस्यारी के समकोट गांव निवासी कमला देवी पत्नी कुंदन राम अपने दो पुत्रों 15 वर्षीय उमेश राम और 12 वर्षीय चंचल राम के साथ किसी कार्य के लिए मुनस्यारी आ रही थी। समकोट से 14 किमी दूर गिनी बैंड तक आए। हालांकि समकोट से ही बारिश और बर्फबारी हो रही थी। गिनी बैंड से जब तीनों कुछ मीटर आगे पहुंचे तो रातापानी से मार्ग बर्फ से पटा था। भारी बर्फबारी भी हो रही थी। मार्ग पूरी तरह से बंद है। तीनों बर्फबारी के बीच तीस किमी दूर मुनस्यारी के लिए पैदल चल दिए। रातापानी से आगे दो फीट से अधिक बर्फ पड़ चुकी थी। मां और बेटे शाम छह बजे 2748 मीटर की ऊंचाई पर बिटलीधार पहुंचे। बच्चों की हालत देखते हुए मां ने वहीं एक गुफा में ही रुकने का निर्णय लिया। रात का तापमान माइनस पांच डिग्री से अधिक था। तीनों ने गुफा में बिना खाए-पिए रात गुजारी।

    देवदूत बनकर आए बृजेश सिंह धर्मशक्तू

    बुधवार सुबह छह बजे बिटलीधार गुफा से जब तीनों मुनस्यारी की तरफ चलने लगे तो बच्चों की हालत खराब हो गई। ठंड से दांत लग गए। बच्चों की हालत देखते हुए मां मदद के लिए चिल्लाने लगी। गुफा से कुछ मीटर आगे चलने के बाद ईको पार्क में रहने वाले बृजेश सिंह धर्मशक्तू आवाज सुन उन्हें कैंप में लाए। तीनों को प्राथमिक उपचार देकर भोजन कराया। हालत सुधरने पर उनके रिश्तेदार मोहन के घर पहुंचाया। कमला देवी ने बताया कि यदि बृजेश नहीं मिलते तो उनका बचना संभव नहीं था। दूसरी तरफ आपदा प्रबंधन और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। इस बात का पता लगने पर एसडीएम बीएन फोनिया ने फोन से मां और बेटों के बारे में जानकारी ली।

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