देखरेख के अभाव में जर्जर होती जा रही अल्मोड़ा की ऐतिहासिक धरोहर बडन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च
ऐतिहासिक सांस्कृतिक व पर्यटक नगरी अल्मोड़ा में वर्ष 1897 में निर्मित ऐतिहासिक धरोहर बडन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च अनुरक्षण के अभाव में चमक खोता जा रहा है। इस चर्च की विशेषता यह है कि इसका निर्माण पूरी तरह से स्थानीय पत्थरों से किया गया है।

अल्मोड़ा, डीके जोशी : ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व पर्यटक नगरी अल्मोड़ा में वर्ष 1897 में निर्मित ऐतिहासिक धरोहर बडन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च अनुरक्षण के अभाव में चमक खोता जा रहा है। इस चर्च की विशेषता यह है कि इसका निर्माण पूरी तरह से स्थानीय पत्थरों से किया गया है। वर्तमान में इसकी हालत यह है कि इसकी वाह्य दीवारों में अनेक स्थानों पर काई जम चुकी है। गिरजाघर में क्रिसमस डे के अलावा गुड फ्राइडे तथा ईस्टर संडे पर विशेष प्रार्थना सभा की जाती हैं। वहीं वर्ष भर समय-समय पर देशी व विदेशी पर्यटन इस चर्च के दीदार को पहुंचते हैं।
नगर के एलआर रोड के मल्ला कसून में बडन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च सन् 1897 में अस्तित्व मेंं आया। इसके विशाल कक्ष की काष्ठकला अत्यंत बारीक व सुंदर है। जब भी देशी व विदेशी पर्यटक इस पर्यटन स्थली के सैर सपाटे पर पहुंचते हैं, इस चर्च का दीदार करना नहीं भूलते हैं। पुरातन हो चुके इस चर्च को अब बेहतर अनुरक्षण की दरकार आन पड़ी है। इसकी विशेषता यह है कि फ्रांस में सृजित गोथिक (इंडो-यूरोपियन) शैली के इस चर्च का निर्माण पूरी तरह स्थानीय पत्थरों से किया गया है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 1897 में अपने पूर्ण स्वरूप में आए इस चर्च की कई विशेषताएं हैं। चर्च के विशाल कक्ष जिसमें काष्ठ कला इतनी बारीक व सुंदर है कि वह विचलित मन को भी शांति प्रदान करती है। चर्च ऊंचाई वाले स्थान में स्थापित होने से यहां से हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं साफ दृष्टिगोचर होती हैं।
यूरोप में प्रचलित थी यह शैली
जिस गोथिक शैली में चर्च का निर्माण हुआ है यह फ्रांस में 12वीं से शुरू होकर 16वीं शताब्दी तक पूरे यूरोप में इसका प्रचलन रहा। पर्यटन सीजन में जब भी सैलानी पहाड़ का रुख करते हैं, वह इस ऐतिहासिक धरोहर का दीदार करने जरूर पहुंचते हैं। यदि समय रहते चर्च का अनुरक्षण कार्य शुरू नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब यह अपनी चमक खो देगा।
क्या है गोथिक शैली
गोथिक भवन निर्माण की एक शैली है। जो फ्रांस के गोथ जगह से शुरू हुई। इसलिए यह गोथिक शैली कहलाती है। यह वास्तविक मेहराब पर आधारित होती है और भवन को ऊंचा बनाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। एसएसजे परिसर के इतिहास विभाग के प्रो. वीडीएस नेगी का कहना है कि इसमें विशेष तौर पर की स्टोन का उपयोग किया जाता है।
300 लोग एक साथ कर सकते हैं प्रार्थना
चर्च का भवन 30 मीटर ऊंचा तथा 40 मीटर लंबा है। इस गिरजाघर के विशाल कक्ष में करीब 300 लोग बैठ कर एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। यह परिसर छह नाली भूमि पर बना है। यहां से नगर के चारों ओर का दृश्य नयनाभिराम दिखाई देता है।
चर्च की विशालकाय घड़ी ठीक कराई जा रही
पादरी चर्च रॉबिन्सन दास ने बताया कि ऐतिहासिक बडन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च के आंतरिक कक्ष का अनुरक्षण कार्य कर लिया गया है। वहीं चर्च की दीवार में सालों से खराब पड़ी विशालकाय घड़ी को ठीक करा लिया गया है। इससे अब राहगीरों को राहत मिल सकेगी। जबकि बाहरी दीवारों में जमी काई को हटाने को इसके रासायनिक उपचार के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जल्द ही काई को हटाने के लिए इसके दीवारों का रासायनिक उपचार किया जाएगा। चर्च की निगहबानी के लिए इसके इर्दगिर्द सीसीटीवी कैमरा भी लगा दिए गए हैं। चर्च के चारों ओर बाउंड्रीवॉल के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
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