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    पर्यटन से दूर खूबसूरती से भरे हैं पहाड़ के बुग्याल, यहां हैं पर्यटन की असीम संभावनाएं

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 04 Jun 2021 05:46 PM (IST)

    कुदरत ने उत्तराखंड को कई खूबसूरत नेमतों से नवाजा है। इनमें प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पहाड़ झरने बुग्याल आदि शामिल हैं। हालांकि यहां के खूबसूरत बुग्यालों की रोमांच से भरी दुनिया अभी भी लोगों से अछूती ही है।

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    पर्यटन से दूर खूबसूरती से भरे हैं पहाड़ के बुग्याल, यहां हैं पर्यटन की असीम संभावनाएं

    बागेश्वर, चंद्रशेखर द्विवेदी : कुदरत ने उत्तराखंड को कई खूबसूरत नेमतों से नवाजा है। इनमें प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पहाड़, झरने, बुग्याल आदि शामिल हैं। हालांकि यहां के खूबसूरत बुग्यालों की रोमांच से भरी दुनिया अभी भी लोगों से अछूती ही है। जो साहसिक पर्यटक यहां ट्रैकिंग के लिए पहुंचते हैं वह इसके सम्मोहन से बरबस आकर्षित होकर यहां आते रहते हैं। बागेश्वर जिले में पखुवा बुग्याल, छोलिया बुग्याल व सुंदरढूंगा घाटी में स्थित बुग्यालों की दुनिया भी कुछ ऐसी ही है।

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    हिमालय की तलहटी में 3,300 मीटर से चार हजार मीटर ऊंचाई पर हरी घास व मौसमी फूलों से भरे पड़े लंबे-लंबे घास के मैदानों को बुग्याल कहते है। सुंदर और अदभुत नजारों वाले पखुवा टॉप की साहसिक यात्रा के लिए आपको जिला मुख्यालय से टैक्सी द्वारा 37 किमी दूर सौंग जाना पड़ेगा। यहां से पांच किमी की दूरी पर मुनार और आठ किमी पर पतियारसार है। पतियारसार से खलझूनी तक चार किमी पैदल यात्रा तय करनी होते है। खलझूनी से साढ़े तीन किमी की खड़ी चढ़ाई पर पखुवा टॉप है।

    पखुवा टॉप की ऊंचाई समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर है। यहां घास के मैदान, तरह-तरह के फूल आपको सम्मोहित करते है। यह क्षेत्र भी पर्यटन से अछूता है। जबकि उत्तराखंड के सबसे सुंदर ट्रैकिंगों में से एक है। स्थानीय लोग अब इस क्षेत्रों को पर्यटन नक्शे में लाने के लिए प्रयास करने लगे हैं। पखुवा टॉप से एक रास्ता सरयू नदी के उद्गम स्थल सरमूल को भी जाता है। सरमूल घाटी की दूरी करीब चार किमी है।

    छोलिया बुग्याल करता है सम्मोहित

    जिला मुख्यालय से करीब 85 किमी दूर 1900 मीटर की उंचाई पर सीमांत जिले को जोडऩे वाला गोगिना गांव है। गोगिना गांव से लमतरा, मधारी, अल्यूणा, चौपता होते हुए छोलिया बुग्याल के लिए दो दिन का रास्ता है। छोलिया बुग्याल से आगे चनणिया, रजला होते हुए प्रसिद्ध कफनी ग्लेशियर को भी रास्ता है। पर्यटन विभाग फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी देता ही नही। पूरा क्षेत्र उपेक्षित हैं। जिन ट्रैकर को पता है वह हर साल यहां ट्रैङ्क्षकग करने के लिए आते हैं। जिला पर्यटन अधिकारी, बागेश्वर कीर्ति चंद्र आर्या ने बताया कि पूरे क्षेत्र में कई खूबसूरत जगह हैं। जहां साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन की संभावनाओं को लगातार तलाशा जा रहा है।

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