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डेंगू की दहशत से अचानक बढ़ी ब्लड की डिमांड, लोग सोशल मीडिया से लेकर मित्रों से लगा रहे गुहार

हल्‍द्वानी में डेंगू की दहशत बढ़ने के साथ ही ब्लड मांगने वालों की डिमांड बढ़ गई है। लोग रिश्‍तेदारों और दोस्‍तों के साथ सोशल मीडिया पर स्‍टेटस अपडेट कर ब्‍लड की डिमांड कर रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 10:33 AM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 07:52 PM (IST)
डेंगू की दहशत से अचानक बढ़ी ब्लड की डिमांड, लोग सोशल मीडिया से लेकर मित्रों से लगा रहे गुहार
डेंगू की दहशत से अचानक बढ़ी ब्लड की डिमांड, लोग सोशल मीडिया से लेकर मित्रों से लगा रहे गुहार

हल्द्वानी, जेएनएन : मेरा भाई एसटीएच में भर्ती है। उसे डेंगू हो गया है। उसके प्लेटलेट्स 20 हजार से कम हो गए हैं। तत्काल ए नेगेटिव ब्लड की जरूरत है। ए नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले प्लीज हेल्प करें। इस समय दिन हो या रात ऐसे संदेशों से सोशल मीडिया पटा पड़ा है। कोई वाट्सएप के जरिये तो कोई सीधे फोन कर अपने मित्रों, सगे संबंधियों को फोन कर ब्लड देने की गुहार लगा रहा है। महामारी का रूप ले रहे डेंगू से शहर के हालात भयावह हो गए हैं। लोग दहशत में हैं। जहां प्रतिदिन 20 यूनिट भी प्लेटलेट्स की आपूर्ति नहीं हो पाती थी, वहीं अब 110 से अधिक यूनिट प्लेटलेट्स की प्रतिदिन आपूर्ति हो रही है। 

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कुछ ब्लड गु्रपों की अधिक मारामारी 
सामान्यता ए नेगेटिव ब्लड ग्रुप के लोग कम होते हैं। अगर ऐसे मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाना हो तो लोगों को ढूंढना मुश्किल हो रहा है। परिजन इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। एमबीपीजी कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र नेगी ने अपने परिजन को ए नेगेटिव ब्लड उपलब्ध कराने के लिए 50 से अधिक लोगों से संपर्क किया। रात भर फोन करते रहे। तब जाकर जैसे-तैसे ब्लड मिला। पार्षद दीपक बिष्ट का कहना है कि ब्लड के लिए लगातार फोन आ रहे हैं। कुछ गु्रप के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। सामाजिक कार्यकर्ता शैलेंद्र दानू का कहना है, टीम के सभी सदस्य रक्तदान कर चुके हैं। इस समय डिमांड कई गुना बढ़ गई है। नेगेटिव गु्रप की डिमांड पूरी करना मुश्किल हो रहा है। सभी ने लोगों से नियमित रक्तदान की अपील भी की है।

दो ब्लड बैंक ही कर रहे आपूर्ति 
शहर में तीन रक्तकोष हैं। दो सरकारी और एक निजी। ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर की सुविधा एसटीएच व निजी ब्लड बैंक में ही है। एसटीएच के ब्लड बैंक से प्रतिदिन 50 से 55 यूनिट प्लेटलेट्स की आपूर्ति है। यही स्थिति मुखानी स्थित स्वर्गीय बालकिशन जोशी ब्लड बैंक की भी है। यहां से भी प्रतिदिन करीब 50 यूनिट प्लेटलेट्स की आपूर्ति है। 

प्लेटलेट्स के लिए ताजा ब्लड की जरूरत
एसटीएच की ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. सलोनी उपाध्याय कहती हैं कि प्लेटलेट्स ताजा ब्लड से ही बनता है। इसे केवल पांच दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस समय लगातार ब्लड को सेपरेट करने की जरूरत पड़ रही है। कई बार एक मरीज के लिए एक ही ब्लड गु्रप के डोनर को लाना मुश्किल हो जा रहा है।

एसटीएच में 13 की जगह केवल चार टेक्नीशियन
एसटीएच के ब्लड बैंक में 13 टेक्नीशियन का स्टाफ था। इस समय केवल चार टेक्नीशियन ही कार्यरत हैं। इसकी वजह से भी काम करने में दिक्कत हो रही है। बेस में भी छह टेक्नीशियन में दो बीमार हो गए थे। हालांकि वहां पर वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।

बेस की कंपोनेंट सेपरेटर मशीन होनी है रिप्लेस 
सरकारी सिस्टम का यह हाल है कि बेस अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन आने के बाद चालू नहीं हो सकी। नौ महीने पहले मशीन आ चुकी थी। यह मशीन काम करने लायक नहीं है। अब इसे रिप्लेस करने की तैयारी चल रही है। कब नई मशीन लगेगी। फिलहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

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