स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल जाने वाली उत्तराखंड की पहली महिला के बारे में जानिए
नाम बिशनी देवी साह। 12 अक्टूबर 1902 को बागेश्वर में जन्म। छोटी उम्र में पति का निधन हो गया। महात्मा गांधी की जन जागृति से प्रेरित होकर 19 वर्ष की उम्र में स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गईं। दिसंबर 1930 में बिशनी देवी को गिरफ्तार कर जेल डाल दिया गया।

गणेश पांडे, हल्द्वानी : नाम बिशनी देवी साह। 12 अक्टूबर 1902 को बागेश्वर में जन्म। छोटी उम्र में पति का निधन हो गया। महात्मा गांधी की जन जागृति से प्रेरित होकर 19 वर्ष की उम्र में स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गईं। आंदोलन में सक्रिय होने की वजह से दिसंबर 1930 में बिशनी देवी को गिरफ्तार कर जेल डाल दिया गया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल जाने वाली वह उत्तराखंड की पहली महिला थीं। स्वतंत्रता की अलख जगाने वाली बिशनी देवी के साहस व संघर्ष की दास्तान भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल 22 भाषाओं के जरिये देश-दुनिया तक पहुंचेगी।
पिथौरागढ़ की रहने वाली 23 वर्षीय रितिका बिष्ट ने बिशनी देवी पर पुस्तक लेखन की दिशा में काम शुरू कर दिया है। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) ने प्रधानमंत्री मेंटरशिप युवा योजना आरंभ की है। नई पीढ़ी के लेखकों को खोजने, पहचानने व प्रोत्साहित करने की मुहिम के तहत देशभर से चयनित 75 युवा लेखकों में रितिका भी शामिल हैं। युवा लेखकों को देशभर के ख्यातिलब्ध लेखकों के सान्निध्य में स्वाधीनता के किसी अनछुए पहलू पर पुस्तक तैयार करने का जिम्मा है। रितिका ने बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन में उत्तराखंड की महिलाओं का योगदान पूरी तरह सामने नहीं आ पाया है। इसे सामने लाने का प्रयास उन्होंने किया है।
मेडिकल की पढ़ाई कर रहीं रितिका
राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में एमबीबीएस अंतिम वर्ष की छात्रा हैं रितिका। उनकी मां भागीरथी बिष्ट, पिता हरीश बिष्ट सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। बचपन से किताबों में रुचि रखने वाली रितिका को राजनीति पर लिखने का शौक है। आर्मी स्कूल से पढ़ाई करने के दौरान राष्ट्रीय स्तर की डिबेट में हिस्सा लिया करती थीं। बाद में कविताएं भी लिखीं। भाई दीपक बिष्ट ने भी प्रेरित किया।
50 हजार प्रतिमाह छात्रवृत्ति मिलेगी
देश के 75 युवा लेखकों में शामिल रितिका को छह माह तक प्रतिमाह 50 हजार रुपये स्कालरशिप मिलेगी। रितिका ने बताया कि एनबीटी के वरिष्ठ लेखक आनलाइन माध्यम से मार्गदर्शन कर रहे हैं। अगले छह माह में हिंदी में पुस्तक तैयार होगी। जिसे बाद में अन्य भाषाओं में अनुवादित किया जाएगा।
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