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    Binsar Wildlife Sanctuary Fire: दो हेलीकॉप्टर से आग काबू करने की कोशिश जारी, 80 प्रतिशत तक बुझी

    Binsar Wildlife Sanctuary Fire अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य के जंगल में लगी आग बुझाने में शनिवार को वायुसेना को 80 प्रतिशत सफलता मिली। विंग कमांडर शैलेश सिंह ने कहा कि शनिवार को आठ बार में 19200 लीटर पानी आग में पड़ने से अस्सी प्रतिशत आग पर काबू पा लिया गया है। भीमताल झील से दो हेलीकाप्टरों के जरिये पानी भरकर जंगल में लगी आग पर छोड़ा गया।

    By nirmal singh negi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sun, 16 Jun 2024 03:09 PM (IST)
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    Binsar Wildlife Sanctuary Fire: भीमताल झील से दो हेलीकाप्टरों के जरिये पानी भरकर जंगल में लगी आग पर छोड़ा गया।

    संस, जागरण, भीमताल : Binsar Wildlife Sanctuary Fire: अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य के जंगल में लगी आग बुझाने में शनिवार को वायुसेना को 80 प्रतिशत सफलता मिली।

    भीमताल झील से दो हेलीकाप्टरों के जरिये सुबह से शाम तक आठ बार पानी भरकर जंगल में लगी आग पर छोड़ा गया। ऐसे में आग आबादी क्षेत्र तक नहीं पहुंची।

    विंग कमांडर शैलेश सिंह ने कहा कि शनिवार को आठ बार में 19200 लीटर पानी आग में पड़ने से अस्सी प्रतिशत आग पर काबू पा लिया गया है।

    भीषण आग की चपेट में आकर ओड़ाबास्कोट गांव से सटा जंगल राख

    गरमपानी : जंगलों में आग का तांडव थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां एक के बाद एक जंगल आग से स्वाहा होते जा रहे हैं। बेतालघाट विकासखंड के ओड़ाबास्कोट गांव से सटे जंगल के आग की चपेट में आने से बेशकीमती वन संपदा राख हो गई। यहां बांज व चीड़ के कई पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा है।

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    पहाड़ों पर जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इससे मवेशियों के लिए चारा पत्ती का संकट खड़ा हो गया है वहीं आग की तपिश से प्राकृतिक जल स्रोतों में भी जलस्तर तेजी से घटता जा रहा है‌। शनिवार को बेतालघाट विकासखंड के ओड़ाबास्कोट गांव से सटा चीड़ व बांज बाहुल्य चुरानीभाटी व कपसोड़ का जंगल आग से धधक उठा। देखते ही देखते आग की लपटों ने विकराल रूप ले लिया।

    आसमान छूती लपटों से कई बांज व चीड़ के पेड़ तक जल गए। जंगली जानवरों को नुकसान पहुंचने के साथ ही बेशकिमती वन संपदा को भी नुकसान पहुंचने का अंदेशा है। आग की लपटों से ग्रामीण भी दहशत में आ गए।

    इधर अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाइवे पर स्थित गरमपानी, खैरना, दो पांखी क्षेत्र से सटे जंगल में भी देर शाम तक धुएं का गुबार उठता रहा। विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम को ठोस उपाय किए जाने की मांग वन विभाग से की है।