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    संडे मार्केट को रहता है भूपाल सिंह की जैविक सब्जियोंं का इंतजार

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 29 Sep 2020 06:10 PM (IST)

    बागेश्वर का रवि बाजार काश्तकार भूपाल सिंह कठायत के बलबूते ही चल रही है। यदि भूपाल सिंह जैसे काश्तकार नहीं होते तो यह बाजार दम तोड़ चुका होता। वे सप्ताह में हर रविवार को लोगों को ताजी पसंदीदा सब्जी उपलब्ध कराते हैं।

    भूपाल सिंह पूरी तरह जैविक उत्पादन करते हैं।

    बागेश्वर, जेएनएन : बागेश्वर का रवि बाजार काश्तकार भूपाल सिंह कठायत के बलबूते ही चल रही है। यदि भूपाल सिंह जैसे काश्तकार नहीं होते तो यह बाजार दम तोड़ चुका होता। वे सप्ताह में हर रविवार को लोगों को ताजी पसंदीदा सब्जी उपलब्ध कराते हैं। वर्ष 2008 में तत्कालीन जिलाधिकारी शैलेश बगोली ने गरुड़ के गोलू मार्केट में रवि बाजार की शुरुआत की थी। उन्होंने काश्तकारों को अच्छी आय के लिए एक प्लेटफॉर्म दिया। तब से लगातार भूपाल सिंह विभिन्न प्रकार की सब्जी लाकर संडे मार्केट की शोभा बढ़ा रहे हैं। लोग बेसब्री से उनकी सब्जी का इंतजार करते हैं।

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    भूपाल सिंह पूरी तरह जैविक उत्पादन करते हैं। प्रत्येक संडे को वे लोगों को उनके पसंद के अनुसार शिमला मिर्च, बैंगन, कद्दू, बीन्स, बंद गोभी, फूल गोभी, लौकी, तुरई, खीरा, करेला, मूली, टमाटर, लहसुन आदि सब्जियां उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा वे डिमांड पर ताजा मठ्ठा भी लाते हैं। कोरोनाकाल में उनकी सब्जी की डिमांड और भी बढ़ गई है। लोग हल्द्वानी की सब्जी के बजाय भूपालदा की सब्जी को बहुत पसंद कर रहे हैं। भूपाल सिंह ने नौकरी करने के बजाय अपनी माटी से ही कुछ कमाने की सोची। उसी सोच का परिणाम है कि आज सब्जी उत्पादन ही उनकी आय का एकमात्र जरिया है। युवाओं को भी वे अपनी माटी में इसी तरह की मेहनत करने और पहाड़ में ही अच्छी आय अर्जित करने की सलाह देते हैं।

     

    उद्यान विभाग से खफा रहते हैं भूपाल सिंह

    काश्तकार भूपाल सिंह कहते हैं कि उद्यान विभाग के अधिकारी काश्तकारों को प्रोत्साहन देने के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं,लेकिन धरातल पर व्यवस्था जीरो है।उन्होंने बताया कि लॉक डाउन में काश्तकार बीज के लिए परेशान रहे, किसी ने उनकी नहीं सुनी। उनका कहना है कि काश्तकारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ी- बड़ी योजनाएं संचालित होती हैं, लेकिन सही मॉनिटरिंग न होने के कारण काश्तकार को उसका उचित लाभ नहीं मिल पाता है।उन्होंने अधिकारियों से फील्ड में आकर उनके उत्पादन का निरीक्षण करने की अपील की है।ताकि काश्तकार को उचित प्रोत्साहन मिल सके