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जीआइसी सूखीढांग में नहीं खत्म हो रहा विवाद, अब अनुसूचित जाति के बच्चों ने किया खाने के इंकार

प्रधानाचार्य ने घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी है। कुल मिलाकर यह मामला नियुक्ति में गड़बड़ी का है या जाति का कोई स्पष्ट रूप से कहने को सामने नहीं आ रहा है।हां यह जरूर है कि चुनाव नजदीक है और यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Fri, 24 Dec 2021 07:45 PM (IST)Updated: Sat, 25 Dec 2021 08:58 AM (IST)
जीआइसी सूखीढांग में नहीं खत्म हो रहा विवाद, अब अनुसूचित जाति के बच्चों ने किया खाने के इंकार
मामले में सीएम तक हस्तक्षेप कर चुके हैं। उन्होंने डीआइजी से मामले के जांच के आदेश दिए हैं।

जागरण संवाददाता, चम्पावत : चुनावी मौसम में उत्तराखंड में अब भोजन माता का विवाद हर दिन नया रंग लेता जा रहा है। इससे पहले अनुसूचित जाति की भोजन माता के हाथ बनाए खाने से सर्वण बच्चों ने खाने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद आनन फानन विभागीय अधिकारियों ने भाेजन माता को हटा दिया। उनकी जगह पर सर्वण भोजन माता को रख दिया गया। बाद में सवाल उठने पर नियुक्ति में गड़बड़ी बताई गई। हालांकि मामले में सीएम तक हस्तक्षेप कर चुके हैं। उन्होंने डीआइजी से मामले के जांच के आदेश दिए हैं। 

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मामले में इसी बीच नया मोड़ आ गया है। शुक्रवार को सवर्ण भोजन माता द्वारा बनाए जा रहे भोजन को एससी बच्चों ने खाना खाने से मना कर दिया है। घर से लाए टिफिन के खाने को ही एससी के बच्चों ने खाया। इस घटना से शिक्षा विभाग में खलबली मच गई है। प्रधानाचार्य ने घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी है। कुल मिलाकर यह मामला नियुक्ति में गड़बड़ी का है या जाति का, कोई स्पष्ट रूप से कहने को सामने नहीं आ रहा है।हां यह जरूर है कि चुनाव नजदीक है और यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

मामले में कब क्या हुआ

पहले स्कूल प्रबंधन ने बगैर किसी प्रस्ताव के नियुक्ति भोजन माता शकुंतला को हटा दिया। फिर बिना कोई विज्ञप्ति जारी किए भोजन माता की रिक्ति जारी कर दी। इसमें छह महिलाओं ने आवेदन किया, जिसमें सवर्ण पुष्पा भट्ट की भोजन माता की नियुक्ति कर दी। कुछ दिन बाद रिक्ति की दूसरी विज्ञप्ति जारी कर दी गई। जिसमें पांच महिलाओं ने आवेदन किया। स्कूल प्रबंधन ने इसमें से एससी सुनीता देती की भोजन माता पद पर नियुक्ति करने के साथ भोजन बनाने का काम शुरू कर दिया। 

यहां से शुरू हुआ विवाद

सबसे पहले एससी भोजन माता द्वारा भोजन बनाने पर सवर्ण बच्चों ने माध्यान्ह भोजन करना बंद कर दिया। बच्चे घर से टिफिन लेकर आने लगे। मामले ने तूल पकड़ा तो सीईओ आरसी पुरोहित ने बीईओ अंशुल बिष्ट को जांच के आदेश दिए। चार दिन पूर्व नियुक्ति गलत होने पर सुनीता देवी की नियुक्ति को रद कर दिया और सहायक भोजन माता विमला उप्रेती को भोजन बनाने के लिए कहा। 

मामले में नया मोड़

सवर्ण भोजन माता विमला के भोजन बनाने पर एससी वर्ग के बच्चों के अभिभावक नाराज हो उठे। अभिभावकों का कहना है कि जब वह एससी भोजन माता के बने हाथ का भोजन नहीं कर सकते तो हमारे बच्चे सवर्ण भोजन माता के हाथ से बना भोजन क्यों करें। इसका नतीजा यह रहा कि शुक्रवार को माध्यान्ह भोजन में पंजीकृत 66 बच्चों में 58 बच्चे उपस्थित हुए। जिसमें 23 एससी बच्चों ने भोजन नहीं किया। उन्होंने भोजन करने से मना कर दिया। वह घर से अपना टिफिन लेकर आए थे। बाकी 35 सवर्ण बच्चों ने भोजन किया। प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने बताया कि एससी के 23 बच्चों ने भोजन नहीं किया। इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी गई है।

खाने की बर्बादी व बच्चों पर असर की चिंता नहीं

एक तरफ बच्चों के भोजन न करने से भोजन बेकार हो रहा है तो वहीं क्षेत्र में जातिगत भेदभाव चरम पर पहुंचने लगा है। जिससे क्षेत्र में राजनीति भी खूब हो रही है। पर टिफिन लाने पर बना हुआ खाना बर्बाद होगा उसकी चिंता किसी को नहीं। साथ ही मासूम बच्चों के बीच जातिगत भेदभाव फैलेगा इसकी फिक्र किसी को नहीं। शिक्षक, अभिभावक, अधिकारी व नेता को यह न दिखने वाले असर की भी चिंता करनी चाहिए। आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। क्या हो रही जांच में इसे भी देखा जाएगा।

क्या कहते हैं अधिकारी

मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित ने बताया कि शुक्रवार को एससी के 23 बच्चों द्वारा भोजन न किए जाने की सूचना मिली है। पहले सवर्ण और अब एससी बच्चों के भोजन न करने से स्थिति गंभीर होती जा रही है। जांच रिपोर्ट मिल गई है। जिसमें प्रधानाचार्य समेत दो तीन लोगों के नाम सामने आए हैं। जल्द ही इनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। अभिभावकों से यह भेदभाव दूर कर स्थिति सामान्य करने के लिए कहा जा रहा है।


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