Updated: Sun, 03 Aug 2025 04:20 PM (IST)
फिल्म भेड़िया धसान का चयन मेलबर्न फिल्म फेस्टिवल के लिए हुआ है । यह फिल्म गांवों की रुढ़िवादी व्यवस्था पर आधारित है जिसमें एक प्रवासी मजदूर शहर से लौटने के बाद फंस जाता है। फिल्म तीन पीढ़ियों के विचारों के टकराव को दर्शाती है। निर्देशक भरत सिंह परिहार ने बताया कि फिल्म 14 से 24 अगस्त तक प्रदर्शित की जाएगी।
जासं, नैनीताल। फिल्म भेड़िया धसान का चयन मेलबर्न आस्ट्रेलिया में आयोजित इंडियन फिल्म फेस्टिवल के लिए हुआ है। यह फिल्म गांव की रुढ़िवादी व्यवस्था पर आधारित कहानी है, जिसमें स्थानीय और थियेटर कलाकारों का अभिनय देखने को मिलेगा।
निर्देशक उत्तराखंड निवासी भरत सिंह परिहार ने बताया कि यह फिल्म 14 से 24 अगस्त तक आयोजित होने वाले इंडियन फिल्म फेस्टिवल मेलबर्न आस्ट्रेलिया में प्रदर्शित होगी। फिल्म निर्माता हल्द्वानी के अनंत नीर शर्मा हैं, जबकि इसके लेखक रामेंद्र सिंह हैं। फिल्म एक प्रवासी मजदूर की कहानी है जो बड़े शहर से लौटने के बाद गांव की रुढ़िवादी व्यवस्था फंस जाता है।
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यह फिल्म एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों के विचारों और सपनों के बीच के टकराव को दर्शाती है। फिल्म की अधिकांश शूटिंग मुक्तेश्वर व कालाढूंगी में की गई है। इसमें मुख्य भूमिका उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी श्रीष डोभाल और यतेंद्र बहुगुणा ने निभाई है। इसके अलावा, नैनीताल के रंगकर्मी मदन मेहरा, आकाश नेगी, स्वाति नयाल, राघव शर्मा, ध्रुव टम्टा, राजेंद्र सिंह, मोहन राम, दीपक मालदा और महेश सैनी भी महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आएंगे।
मुक्तेश्वर के बाल कलाकार अरमान खान और मंजीत सिंह के साथ ही स्थानीय कलाकारों ने अभिनय किया है। इससे पहले, फिल्म को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल केरल में प्रदर्शित की जा चुका है। परिहार के अनुसार, फिल्म की कहानी, लोकेशंश और स्थानीय संस्कृति की झलक इसे एक अलग ही पहचान देती है। फिल्म का अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचना उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है।
फिल्म की कहानी एक नौजवान की है निर्माता अनंत नीर शर्मा ने कहा कि मेलबर्न फेस्टिवल के लिए फिल्म के चयन से उत्तराखंड में फिल्म निर्माण के माध्यम से अपनी कहानियां कहने का आत्मविश्वास मिलेगा। निर्देशक परिवार के अनुसार फिल्म में ऐसे भारतीय गांव की झलक दिखाना था, जहां आज भी बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाता है। फिल्म की कहानी नौजवान की है, जो गांव से पलायन करने के बाद वापस आता है और गांव के माहौल में खुद को नहीं ढाल पाता है।
गांव की भेड़ चाल से तंग आकर अपने पिता को लेकर वापस शहर जाना चाहता है, जबकि उसके पिता गांव छोड़ने को तैयार नहीं होते हैं। फिल्म लेखक रामेंद्र सिंह ने वर्षों तक पत्रकारिता में काम करने के बाद स्क्रीन राइटिंग के लिए मुंबई का रुख किया। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी हल्द्वानी के पार्थ जोशी ने की है, जबकि संगीत शिमला के तेजस्वी लोहुमी ने दिया है।
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