Nainital Bharat Bandh : नैनीताल में भारत बंद बेअसर, बाजार खुले, हल्द्वानी में कांग्रेसियों ने किया प्रदर्शन
Nainital Bharat Bandh किसानों व विपक्षी दलों के आह्वान पर भारत बंद का नैनीताल में कोई असर नहीं है। व्यापारी समेत अन्य संगठनों ने कल ही साफ कर दिया था कि बाजार पूरी तरह खुले रहेंगे। जबकि उन्होंने किसानों की मांग का समर्थन किया है।
नैनीताल, जेएनएन : किसानों व विपक्षी दलों के आह्वान पर भारत बंद का नैनीताल में कोई असर नहीं है। व्यापारी समेत अन्य संगठनों ने कल ही साफ कर दिया था कि बाजार पूरी तरह खुले रहेंगे। जबकि उन्होंने किसानों की मांग का समर्थन किया है। वहीं हल्द्वानी में कृषि कानूनों के खिलाफ भारत बंद के दिन मंगलवार को गौलापार में कांग्रेसियों ने फावड़े के साथ सांकेतिक प्रदर्शन किया। कहा कि केंद्र सरकार किसानों को कमजोर करने में तुली है।
तल्लीताल व्यापार मंडल के अध्यक्ष मारुति साह, महामंत्री अमनदीप सिंह ने बयान जारी कर कहा कि बाजार खुला रहेगा। मल्लीताल व्यापार मंडल अध्यक्ष किशन नेगी के अनुसार बाजार पूरी तरह खुला है। टैक्सी ट्रेवल्स यूनियन के अध्यक्ष नीरज जोशी के अनुसार यूनियन बंद का समर्थन नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में वैसे ही टेक्सी संचालन परेशान हैं, बंद में शामिल होकर अपनी परेशानी क्यों बढ़ाएंगे।
मंगलवार को शहर के तल्लीताल व मल्लीताल के बाजार, होटल, गेस्ट हाउस समेत अन्य व्यापारिक गतिविधियां पूरी तरह सुचारू हैं। मल्लीताल आढ़त में रोज की तरह कामकाज हो रहा है। इधर किसान कानूनों के विरोध में आम आदमी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दल 11 बजे से मल्लीताल पंत पार्क व तल्लीताल में धरना प्रदर्शन करेंगे।
फावड़े के साथ हल्द्वानी में कांग्रेसियों का प्रदर्शन
कृषि कानूनों के खिलाफ भारत बंद के दिन मंगलवार को गौलापार में कांग्रेसियों ने फावड़ा पकड़ सांकेतिक प्रदर्शन किया। कहा कि केंद्र सरकार किसानों को कमजोर करने में तुली है। जिला प्रवक्ता हरेंद्र क्वीरा संग सड़क पर प्रदर्शन करते हुए कांग्रेसियों ने कहा कानून के विरोध में देशभर के किसान दिल्ली के बॉर्डर पर जुटे हुए हैं। उसके बावजूद सरकार सुनने को तैयार नहीं। ब्लॉक अध्यक्ष नीरज रैक्वाल ने कहा कि एमसीपी को लेकर सरकार गारंटी देने को तैयार नहीं। ऐसे में किसानों का गुस्सा जायज है। वहीं, अन्य लोगों ने कहा कि गौलापार व चोरगलिया में धान खरीद केंद्रों पर किसानों को तमाम परेशानी का सामना करना पड़ा था। रजिस्ट्रेशन के बावजूद धान नहीं खरीदा गया। और समय से भुगतान का वादा भी झूठा निकला।