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    बाॅयो डायवर्सिटी पार्क में कछुवा, बत्तख और मधुमक्खी के साथ पक्षियों का भी अद्भुत संसार

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sat, 14 Nov 2020 12:44 PM (IST)

    उत्तराखंड के सबसे बड़े डायवर्सिटी पार्क में अब कछुवा बत्तख और मधुमक्खियां भी नजर आ रही हैं। चिडिय़ों का बसेरा यहां पहले से था। बायो डायवर्सिटी यानी जैव ...और पढ़ें

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    बायो डायवर्सिटी पार्क में कछुवा, बत्तख और मधुमक्खी के साथ पक्षियों का भी है अद्भुत संसार

    हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड के सबसे बड़े डायवर्सिटी पार्क में अब कछुवा, बत्तख और मधुमक्खियां भी नजर आ रही हैं। चिडिय़ों का बसेरा यहां पहले से था। बायो डायवर्सिटी यानी जैव विविधता को बचाने और बढ़ाने में इन सबका अपना महत्व है। पिछले साल पांच जून को पर्यावरण दिवस के अवसर वन अनुसंधान केंद्र ने रामपुर रोड स्थित वानिकी प्रशिक्षण अकादमी से सटे परिसर में बायो डायवर्सिटी पार्क का शुभारंभ किया था।

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    वृक्ष व झाड़ी की 130 प्रजाति, औषधीय गुणों से युक्त 40 प्रजाति, कैक्टस 150 प्रजाति, आॢकट 12 प्रजाति, बांस 25 प्रजाति, पाम 60 प्रजाति व जलीय वनस्पतियों की 25 प्रजााति यहां संरक्षित की गई थी। इसके अलावा धाॢमक व ऐतिहासिक महत्व से संबंधित 45 प्रजातियां भी यहां लगाई गई। वन अनुसंधान की हल्द्वानी रेंज के रेंजर मदन बिष्ट ने बताया कि जैव विविधता में योगदान के चलते कछुवा, बत्तख और मधुमक्खियों का आशियाना भी बनाया गया है।

     

    इसलिए है महत्व : पेड़ों से भोजन हासिल कर जब चिडिय़ा बीट मल करती है। यह बीट के माध्यम से जमीन पर बीज अंकुरित होते हैं। दूसरे मधुमक्खियां फूलों से परागण करती है। यह भी वनस्पतियों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा जलीय वनस्पतियों के चक्र में कछुवे व बत्तख का भी अहम रोल है।

     

    अपना मौसम केंद्र भी : वन अनुसंधान केंद्र ने रामपुर रोड स्थित रेंज परिसर में बायो डायोवर्सिटी पार्क के साथ ही कई अलग तरह की वाटिकाओं का निर्माण भी किया है। जहां दुर्लभ प्रजातियों की वनस्पतियों का संरक्षण किया जा रहा है। ऐसे में अनुसंधान ने बायो डायवर्सिटी पार्क में खुद का मौसम सयंत्र स्थापित किया है। ताकि मौसम से जुड़ी हर जानकारी का पूर्वानुमान लगाया जा सके।