Banbhoolpura: फिर बनभूलपुरा के लोगों की ढाल बनी कांग्रेस, 15 साल पहले भी हुआ था ऐसा, बने थे तनावपूर्ण हालात
Banbhoolpura 2007 में रेलवे ने बड़े हिस्से में अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान चलाया था। उस दौरान स्थिति तनावपूर्ण बन गई थी। 15 साल बाद फिर सुर्खियों में आए हल्द्वानी के बनभूलपुरा के लोगों की ढाल दोबारा कांग्रेस ही बनी है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: Banbhoolpura: रेलवे अतिक्रमण को लेकर 15 साल बाद फिर सुर्खियों में आए हल्द्वानी के बनभूलपुरा के लोगों की ढाल दोबारा कांग्रेस ही बनी है। 2007 में रेलवे ने बड़े हिस्से में अतिक्रमण के विरुद्ध अभियान चलाया था। उस दौरान स्थिति तनावपूर्ण बन गई थी।
तब कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री डा. इंदिरा हृदयेश के प्रयास से ही लोगों को राहत मिली। इंदिरा के निधन के बाद उनके पुत्र सुमित हृदयेश 2022 में हल्द्वानी के विधायक बने। इस बार सुमित समेत कांग्रेस के बड़े नेता बनभूलपुरा के लोगों के लिए एकजुट नजर आए। दरअसल मुस्लिम बहुल यह क्षेत्र कांग्रेस का ही वोट बैंक भी है।
हाई कोर्ट का निर्णय आने के बाद शुरू हो गए थे विरोध-प्रदर्शन
बनभूलपुरा में रेलवे की जमीन पर 20 दिसंबर को हाई कोर्ट का निर्णय आने के बाद यहां विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हो गया था।
कैंडल मार्च में हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, जसपुर विधायक आदेश चौहान, नानकमता विधायक गोपाल सिंह राणा समेत अन्य नेता भी शामिल हुए थे। स्व. इंदिरा हृदयेश दो बार कैबिनेट मंत्री रहीं।
यह भी पढ़ें : 50 साल पुरानी है हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे की कहानी, सबूत तक नहीं दिखा सके हैं अतिक्रमणकारी
कांग्रेस सरकार के दौरान यहां सड़क, पेयजल लाइन व नलकूप, बिजली लाइनों का विस्तार, स्कूल व अस्पताल समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं का लगातार विस्तार हुआ। पार्टी का कोर वोट बैंक होने की वजह से इस क्षेत्र को तवज्जो मिलती रही। यहां से हर चुनाव में कांग्रेस को एकमुश्त वोट भी पड़ता रहा है।
यही वजह है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस बनभूलपुरा वासियों के लिए एकजुट हो गई। सुप्रीम कोर्ट से राहत दिलाने को लेकर हरसंभव प्रयास किया गया। सुनवाई से पहले बड़ी संख्या में लोग यहां से दिल्ली भी पहुंचे थे। जिसमें वर्तमान व पूर्व पार्षदों के अलावा पदाधिकारी भी शामिल थे।
सरकारी विभागों का भी अतिक्रमण
बनभूलपुरा में रेलवे जमीन पर सिर्फ लोगों के मकान और दुकानें ही नहीं हैं। बल्कि यहां सरकारी विभागों का अतिक्रमण भी है। रेल भूमि में ही स्कूल, अस्पताल, सामुदायिक भवन भी शामिल है।
रेलवे के सीमांकन के दौरान सरकारी विभागों के अतिक्रमण को भी चिन्हित किया गया था। इसमें पांच सरकारी स्कूल, एक अस्पताल के अलावा दो मंदिर, 10 मस्जिद, तीन दरगाह भी शामिल हैं। जल संस्थान के दो नलकूप व ओवरहेड टैंक, बिजली लाइन व स्ट्रीट लाइट पूरे इलाके में हैं।
कांग्रेस के बड़े नेता दिल्ली भी पहुंचे
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बनभूलपुरा में रेलवे अतिक्रमण को लेकर सुनवाई हुई। इससे पूर्व ही उत्तराखंड कांग्रेस के बड़े नेता दिल्ली पहुंच गए थे। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, विधायक सुमित हृदयेश, पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन समेत अन्य चेहरे यहां दिखे।
यह है स्थिति
- 4365 मकान अतिक्रमण के दायरे में चिह्नित
- 02 इंटर कालेज समेत पांच सरकारी स्कूल शामिल
- 10 मस्जिद भी रेलवे सीमांकन वाले दायरे में
- 03 दरगाह आ रहे अतिक्रमण के सीमा के भीतर
- 78 एकड़ से अधिक भूमि पर बताया गया है अतिक्रमण
कब क्या हुआ
- 20 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने रेलवे की 78 एकड़ भूमि से अतिक्रमण ध्वस्त करने के आदेश दिए।
- 26 दिसंबर को सर्किट हाउस काठगोदाम में पुलिस-प्रशासन व रेलवे की हाई प्रोफाइल बैठक हुई।
- 28 दिसंबर को पुलिस-प्रशासन व रेलवे ने संयुक्त रूप से नक्शों के आधार पर पिलर बंदी की।
- 28 दिसंबर को ही बनभूलपुरा बाजार बंद रहा और लोगों ने सड़कों पर उतरकर सांकेतिक विरोध किया।
- 29 दिसंबर को बनभूलपुरा के हजारों लोगों ने कैंडल मार्च निकाला, उन्हें कांग्रेसियों ने भी अपना समर्थन दिया था।
- 30 दिसंबर को मरकज-ए-अहले सुन्नत बरेली शरीफ के उलेमा ने आवाम से आवाज बुलंद करने को कहा।
- 01 जनवरी 2023 को पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल बरेली ने समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक नोटिस जारी किए।
- 02 जनवरी को हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से मुनादी कराई गई।
- 03 जनवरी से महिलाओं व बच्चों ने सड़कों पर उतरकर दुआएं मांगना शुरू किया।
- 04 जनवरी को उप्र से आया सपा का प्रतिनिधिमंडल लोगों से मिला।
- 05 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।