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Nainital News : नैनीताल में मानसून सीजन में आफत बन सकती है बलियानाला की पहाड़ी

नैनीताल शहर की बसासत के करीब तीन दशक बाद इसकी तलहटी पर स्थित बलियानाला पहाड़ी में भूस्खलन शुरू हो गया था। 1867 में झील का पानी ओवरफ्लो होने से नाले में भारी तबाही मची थी। लेकिन आज तक इसके ट्रीटमेंट का काम शुरू नहीं हो सका।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 19 Jun 2022 11:04 AM (IST)Updated: Sun, 19 Jun 2022 11:04 AM (IST)
Nainital News : नैनीताल में मानसून सीजन में आफत बन सकती है बलियानाला की पहाड़ी
Nainital News : मानसून सीजन में आफत बन सकती है बलियानाला की पहाड़ी

जागरण संवाददाता, नैनीताल : शहर की तलहटी पर स्थित बलियानाला में हो रहा भूस्खलन करीब डेढ़ सौ सालों से मुसीबत बना है। वर्षा का कई सीजन गुजरने और सरकारों के कार्यकाल बीतने के बावजूद भी पहाड़ी के ट्रीटमेंट को लेकर कोई स्थाई व्यवस्था नहीं की जा सकी।

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अब फिर मानसून सिर पर है। ऐसे में पहाड़ी के मुहाने पर बसे दर्जनों परिवार दहशत में हैं। शासन प्रशासन को भी पहाड़ी के ऊपर बसने वाले लोगों की चिंता सताने लगेगी। पहाड़ी के स्थाई ट्रीटमेंट के लिए डीपीआर बनाये जाने की कवायद प्रगति में है। मगर डीपीआर बनने और बजट मिलने के बावजूद भी कार्य पूरा होने में वर्षों का समय लगेगा।

नैनीताल शहर की बसासत के करीब तीन दशक बाद इसकी तलहटी पर स्थित बलियानाला पहाड़ी में भूस्खलन शुरू हो गया था। 1867 में झील का पानी ओवरफ्लो होने से नाले में भारी तबाही मची थी।

पहाड़ी पर लगातार हो रहे भूस्खलन ने तब ब्रिटिश हुक्मरानों को भी हिला कर रख दिया। पहाड़ी पर भूस्खलन की रोकथाम के लिए 1888 में इंजीनियरों की पहली कमेटी गठित कर भूस्खलन की जांच के लिए एक वर्ष बाद भारत के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की ओर विशेषज्ञ नियुक्त किये गए।

विशेषज्ञों ने रोकथाम को पहाड़ी के दोनों ओर सुरक्षा दीवार बनाने और पानी की निकासी के लिए सुरंग बनाने के सुझाव दिए। जिस पर काम भी हुए मगर पहाड़ी पर भूस्खलन की रोकथाम नहीं हो पाई। आजादी के बाद पहाड़ी के ऊपर की ओर कई भवन निर्मित हो जाने से समस्या और बढ़ गयी। मगर ट्रीटमेंट को लेकर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिससे आज भी पहाड़ी पर भूस्खलन जारी है।

डीएम नैनीताल धीराज गर्ब्याल ने बताया कि पहाड़ी के ट्रीटमेंट के लिए शासन स्तर से गठित हाई पवार कमेटी के निर्देशों पर ट्रीटमेंट को डीपीआर बनाने की कवायद जारी है। इस माह अंत तक अनुबंधित कंपनी द्वारा डीपीआर सौपी जानी है। जिसे तत्काल शासन को भेजा जाएगा। बजट मिलते ही ट्रीटमेंट कार्य शुरू कर दिए जाएंगे। बरसात को लेकर क्षेत्रवासियों को विस्थापित भी किया जाना है।

जापान की कंपनी का सर्वे भी रहा अधूरा

पहाड़ी में 2018 की बरसात में भारी भूस्खलन हुआ। जिस पर शासन ने गंभीरता दिखाते हुए ट्रीटमेंट से पूर्व सर्वे कार्य के लिए जाइका को नियुक्त किया गया। कंपनी विशेषज्ञों ने कई पहलुओं पर सर्वे किया। जिसके आधार पर तीन फेज में 620 करोड़ का ट्रीटमेंट का सुझाव दिया। इसके बाद भी कई सर्वे कार्य किये जाने थे। साथ ही ट्रीटमेंट को लेकर डीपीआर और अन्य कार्य किये जाने थे। मगर कोविड के चलते जापान से विशेषज्ञों की टीम भारत नहीं पहुँच सकी। जिससे पहाड़ी का सर्वे कार्य अधूरा रह गया।

अब पुणे की कंपनी के जिम्मे डीपीआर बनाने का कार्य

पहाड़ी पर लगातार हो रहे भूस्खलन और क्षेत्रवासियों की समस्या को देखते हुए बीते वर्ष शासन स्तर पर फिर इसके ट्रीटमेंट की कवायद शुरू हुई। शासन स्तर पर गठित हाई पवार कमेटी ने सिंचाई विभाग को डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी सौपी। जिस पर सिंचाई विभाग की ओर से पुणे की जेट्स टू कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेट कंपनी को अनुबंधित किया गया। जिसके द्वारा पहाड़ी, झील और उसके समीपवर्ती स्थलों का जियोफिजिकल समेत अन्य अध्ययन किये गए। अब सिचाई विभाग को डीपीआर मिलने का इंतजार है।

बरसात बढ़ाएगी क्षेत्रवासियों की मुसीबत

हर बरसात पहाड़ी के ऊपर बसे लोगों की राते दहशत में कट रही है। पहाड़ी पर लगातार बढ़ रहे भूस्खलन की जद में आकर अब तक कई भवन जमीदोज हो चुके है। वहीं दर्जनों भवनों को खतरा बना हुआ है। अब बरसात शुरू होने को जिससे क्षेत्रवासियों की चिंता बढ़ गयी है। वहीं लोगों को सुरक्षित रखने के लिए प्रशासन और पालिका एक बार फिर लोगों को आवास खाली कराने के लिए नोटिस भेजने की तैयारी में है।


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