बाबा नीब करौरी का 125 वां जन्मोत्सव, अल्पायु में आध्यात्मिक साधना-पथ पर चल पड़े थे महाराज; कैंचीधाम में भी आयोजन
नैनीताल में बाबा नीब करौरी महाराज का 125वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। उनका जन्म अकबरपुर में हुआ था और बचपन से ही उनका रुझान आध्यात्म की ओर था। उन्होंने कम उम्र में ही घर त्याग दिया और साधना के पथ पर निकल पड़े। उन्होंने शिक्षा और सामाजिक कार्यों में भी योगदान दिया। उनके मंदिर आज भी भक्तों को प्रेरणा देते हैं।

नैनीताल के हनुमानगढ़ी व कैंचीधाम में भी आयोजन की तैयारी है। आर्काइव
जागरण संवाददाता, नैनीताल। आस्था व श्रद्धा के प्रतीक बाबा नीब करौरी महाराज के हिन्दू कलेंडर की तिथि के हिसाब से 125 वें जन्मोत्सव पर उनके जन्मस्थान अकबरपुर में बड़े आयोजन की तैयार की गई है जबकि नैनीताल के हनुमानगढ़ी व कैंचीधाम में भी आयोजन की तैयारी है।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में मार्गशीर्ष शुक्ल अष्टमी तिथि 30 नवंबर 1900 को जन्मे बालक का नाम रखा गया लक्ष्मी नारायण शर्मा रखा गया, जो आगे चलकर नीब करौरी बाबा के नाम से विख्यात हुए। पिता पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा और माता कौशल्या देवी शर्मा ने उन्हें संस्कार और ज्ञान से परिपूर्ण वातावरण दिया।
बाबा नीब करौरी की अनन्य भक्त व शहर निवासी लेखिका डा. कुसुम शर्मा के अनुसार
बाल्यकाल से ही लक्ष्मी नारायण में आध्यात्मिक झुकाव स्पष्ट था। दस वर्ष की आयु में बनारस गए, जहां उन्होंने वेद और व्याकरण का गहन अध्ययन किया। इसी दौर में उनकी माता कौशल्या देवी का देहांत हो गया। बालक की आत्मिक प्रवृत्ति को देखते हुए पिता ने उनका विवाह मात्र 11 वर्ष की उम्र में नौ वर्षीय रामबेटी से कर दिया। गृहस्थ जीवन की पारंपरिक जिम्मेदारी और प्रेम पूर्ण संबंध उन्हें कभी भी पूर्ण संतोष नहीं दे सके। लगभग 13 वर्ष की अल्पायु में लक्ष्मी नारायण बिना किसी को बताए घर से निकल आध्यात्मिक साधना-पथ पर चल पड़े।
बाबा नीब करौरी ने गुजरात, बवानिया, नीब करोरी गांव और विभिन्न वनप्रदेशों में उन्होंने साधना की। इस दौरान उन्हें बाबा लक्ष्मण दास, तलैया बाबा,‘हांडी वाले बाबा, तिकोनिया बाबा, चमत्कारी बाबा और नीब करौरी बाबा नाम से जाना गया। 17 वर्ष की आयु में अलौकिक सिद्धियां प्राप्त कर ली।
बाबा ने गृहस्थ जीवन को पूर्णता के साथ निभाया। धर्मपत्नी अम्मा राम बेटी ने उनके आध्यात्मिक जीवन में पूर्ण सहयोग किया।
बाबा नीब करौली महाराज ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में अपार योगदान दिया। गांव के जमींदार होते हुए उन्होंने अकबरपुर में स्कूल, कुएं, बाग-बगीचे, मार्ग और पुष्प वाटिकाओं का निर्माण कराया। स्त्री-पुरुष समानता, गरीबों की मदद और समाज कल्याण के लिए कई कार्य किए। नैनीताल जिले में श्री हनुमानगढ़ी मंदिर, भूमियाधार, कैंची धाम की स्थापना कर तथा काकड़ीघाट में श्री हनुमानमूर्ति की स्थापना) कर जनमानस को सेवा और भक्ति का संदेश दिया। उनके आश्रम और मंदिर आज भी भक्तों को आध्यात्मिक दिव्यता प्रदान करते हैं।
बाबा का आध्यात्मिक प्रभाव भारत के साथ ही अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी सहित कई देशों में है। हॉवर्ड विश्वविद्यालय के डॉ. रिचर्ड अल्पर्ट (रामदास) , कृष्णदास ,लैरी ब्रिलिएंट और अनेक अंतरराष्ट्रीय शिष्यों ने उनके चरणों में जीवन समर्पित किया। बाबा का महाप्रयाण 11 सितंबर 1973 को हुआ। उनकी दिव्यता आज भी भक्तों के जीवन में अनुभव की जाती है।
बाबा नीब करौरी व रामबेटी की जीवन गाथा प्रमाण है कि आध्यात्मिक और गृहस्थ जीवन का संतुलन संभव है। डा.शर्मा के अनुसार बाबा के जन्मोत्सव पर 19 नवंबर से शुरू कार्यक्रमों का शुक्रवार को समापन होगा।

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