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    गर्मी में पेट संबंधी बीमारियों कैसे बचें, बता रहे हैं आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. शैलेश जोशी

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 16 May 2022 12:29 PM (IST)

    बदलती दिनचर्या व खानपान में लापरवाही जैसे कारण पेट संबंधी विकारों की वजह बनते हैं। संयमित जीवनशैली व कुछ जरूरी सावधानी अपनाकर बड़ी व जटिल शारीरिक परेशानियों से बचा जा सकता है। वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. शैलेश जोशी ने परामर्श देते हुए यह बात कही।

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    दैनिक जागरण के कार्यक्रम में वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. शैलेश जोशी ने दिया परामर्श

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अनियमित दिनचर्या व खानपान में लापरवाही जैसे कारण पेट संबंधी विकारों की वजह बनते हैं। संयमित जीवनशैली व कुछ जरूरी सावधानी अपनाकर बड़ी व जटिल शारीरिक परेशानियों से बचा जा सकता है। वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. शैलेश जोशी ने रविवार को आयोजित दैनिक जागरण हैलो डाक्टर फोन इन कार्यक्रम में पाठकों को परामर्श देते हुए यह बात कही।

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    पेट के रोगों का आयुर्वेदिक उपचार जानने के लिए हल्द्वानी से लेकर अल्मोड़ा, बागेश्वर व चम्पावत तक के पाठकों ने फोन किया। डा. जोशी ने आत्मीयता से पाठकों की समस्याएं सुनी और जरूरी परामर्श दिया। कहा कि विज्ञापन देखकर कुछ भी दवा लेने से पहले डाक्टर से परामर्श जरूर लें। बच्चों को छोटी-छोटी परेशानियों पर अंग्रेजी दवा देने के बजाय किचन में मौजूद अजवायन, जीरा जैसे घरेलू नुस्खे अपनाने चाहिए।

    पेट संबंधी विकारों के कारण

    भोजन का समय नियमित न होना

    अनिद्रा या पर्याप्त नींद नहीं लेना

    ठंडे व गर्म तासीर का भोजन एक साथ लेना

    बासी या दूषित भोजन लेना

    दिन भर निष्क्रिय रहना

    कुछ भी खाने की आदत सही नहीं

    डा. जोशी ने कहा कि कुछ भी खाने से बचना बहुत जरूरी है। आसानी से पाचन होने वाले के अलावा संतुलित आहार लेना चाहिए। शरीर के व्यवहार को समझे बिना कुछ भी खा लेने की आदत से पेट में ऐठन, नींद नहीं आना, पेट साफ नहीं रहने के अलावा लीवर, आंख, जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं आ सकती हैं। मट्ठा, दही का सेवन पेट के लिए फायदेमंद है।

    ये टिप्स साबित होंगे फायदेमंद

    • खाने में सलाद अनिवार्य रूप से शामिल करें।
    • सलाद को भोजन से आधे घंटे पहले या बाद में खाएं।
    • सुबह उठकर एक से दो गिलास गर्म पानी पीएं।
    • रोजाना आधे से एक घंटा योगाभ्यास करें।
    • चिप्स, पापड़, मैक्रोनी जैसी रेडीमेड सामग्री न खाएं।
    • डिब्बा बंद व फास्ट फूड वस्तुएं कम से कम खाएं।
    • मौसमी फल व ताजी सब्जियों का सेवन करें।
    • बच्चों को आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें।

    इन्होंने लिया परामर्श

    अल्मोड़ा से ललित मेहरा, पिथौरागढ़ से जीवन जोशी, कनालीछीना से जितेंद्र सिंह धामी, हल्द्वानी से यश, हरीश सिंह, जगदीश उपाध्याय, रेखा चौधरी, शांतिपुरी योगेश पांडे, द्वाराहाट से लोकेश, बागेश्वर से तेज राम, बागेश्वर से सुरेश, डीडीहाट से जगजीवन, बाजपुर से पवन आदि ने फोन कर परामर्श लिया।

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