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    हल्द्वानी की अयोध्या है प्राचीन रामलीला मैदान, मैदान में गूंजा राम नाम का जयघोष

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 06 Aug 2020 07:41 AM (IST)

    शहर के बीचोंबीच स्थित प्राचीन रामलीला मैदान आज महीनों का सन्नाटा तोड़ रहा है। पिछले वर्ष आठ अक्टूबर को विजयी दशमी पर यहां पटाखों की गूंज सुनाई पड़ी थी।

    हल्द्वानी की अयोध्या है प्राचीन रामलीला मैदान, मैदान में गूंजा राम नाम का जयघोष

    हल्द्वानी, जेएनएन : शहर के बीचोंबीच स्थित प्राचीन रामलीला मैदान आज महीनों का सन्नाटा तोड़ रहा है। पिछले वर्ष आठ अक्टूबर को विजयी दशमी पर यहां पटाखों की गूंज सुनाई पड़ी थी। रावण को परास्त कर सत्य व धर्म की विजय पताका फहराने की खुशी में खूब आतिशबाजी हुई थी।

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    दस माह बाद बुधवार को फिर से राम नाम का जयघोष सुनाई पड़ा। कोरोना संक्रमण की वजह से कोलाहल भले पिछली बार की तरह नहीं है, मगर उल्लास, उमंग में कोई कमी नहीं। सूरज की रोशनी मंद पड़ने से पहले ही शहर का प्राचीन राम मंदिर बिजली से जगमग हो उठा है। परिसर में राम नाम का सुमिरन हो रहा है। ढोलक, मजिरा, पियानो के साथ गूंजते कीर्तन के स्वरों के साथ आनंद बरस रहा है।

    मंदिर परिसर के हाल में 751 दीयों की रोशनी से भारत मां का नक्शा उकेरा है। अपने भीतर जगमगा रहे जय श्री राम नाम देख भारत मां हर्षित हो रही हैं। मानो अपने भीतर राम नाम की जोत देखकर शदियों पुरानी मुराद पूरी हो गई हो। इसी बीच हरि शरणम जन संस्था प्रमुख रामगोविंद दास भाईजी राम मंदिर में पूजन करने के बाद संकटमोचन हनुमान मंदिर में सिंदूर चढ़ाते हैं। वह रामलीला मैदान पहुंचते हैं। मैदान के किनारे में करीब दौ सौ साल से अडिग खड़े पीपल वृ़क्ष को शीश नवाते हैं।

     

    भाईजी को आता देख मैदान में जमा भक्त बीचोंबीच आने लगे हैं। भाईजी ने जय श्री राम का उद्घोष किया। यहां मौजूद प्रभु भक्त इसे दोहराते हैं। माहौल में उल्लास भर जाता है। सतरंगी आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठा है। पखाटों की गूंज के साथ जय श्रीराम का उद्घोष उल्लास पैदा कर रहा है। मन रोमांचित हो रहा है।

     

    आहलादित कर देने वाला शोर आसपास के लोगों का ध्यान खींच रहा है। रामलीला मैदान के पश्चिम की तरफ स्थित शहर का सबसे बड़े गुरुद्वारे के छज्जों से झांकते सेवादार आतिशबाजी का नजारा देखकर आनंदित हो रहे हैं। रामलीला मैदान के कक्ष भीतर कुछ भक्त प्रभु सुमरित करने में जुटे हैं। जय जय जय श्रीराम.. के स्वर कोनों को आनंदित कर रहे हैं। होंठ खुद ही इसे दोहराने लगते हैं।