अंतरिक्ष की गुत्थी सुलझाने के लिए एरीज नैनीताल में जुटेंगे देशभर के खगोलविद
एस्ट्रो फिजिकल जेट्स खगोल विज्ञान की जटिल गुत्थी हैं तो गैलेक्टिक न्यूक्लीआइ गामा रे ब्रस्ट ब्लेजार व माइक्रो क्वेजार अनंत में फैले अंतरिक्ष की अबूझ पहेलियां। आधुनिक खगोल विज्ञान के चार सौ साल के इतिहास में इन्हें ठीक से समझा नहीं जा सका है।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : एस्ट्रो फिजिकल जेट्स खगोल विज्ञान की जटिल गुत्थी हैं तो गैलेक्टिक न्यूक्लीआइ, गामा रे ब्रस्ट, ब्लेजार व माइक्रो क्वेजार अनंत में फैले अंतरिक्ष की अबूझ पहेलियां। आधुनिक खगोल विज्ञान के चार सौ साल के इतिहास में इन्हें ठीक से समझा नहीं जा सका है। इन रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) देश की समस्त वेधशालाओं के विज्ञानियों को साथ लेकर पांच से नौ अप्रैल तक वेबिनार आयोजित करने जा रहा है।
कार्यशाला के आयोजक एरीज के वरिष्ठ विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडे के अनुसार खगोल भौतिक फव्वारा यानी एस्टृो फिजिकल जेट ब्रहमांड की अनसुलझी विज्ञानी गुत्थी है। जेट ब्रहमांड की बेहद ताकतवर शक्ति है। जो एक्टिव गेलैक्सी व दो तारों के बीच देखने को मिलता है। जेट्स की लंबाई करोड़ों प्रकाश वर्ष तक हो सकती है। इतना ही नहीं आश्चर्यजनक तरीके से इसकी गति कभी-कभी प्रकाश की गति के करीब पहुंच जाती है। हैरत होती है कि इनका चुंबकीय क्षेत्र इसे दो विपरीत दिशाओं में फेंकता है। जेट निर्माण व इसका स्रोत आज भी रहस्य है। इनके अलावा विशाल तारों में होने वाले गामा रे विस्फोट की बारीकियों को अभी तक नहीं समझा जा सका है। उसी तरह एक्टिव गेलैक्सी की गतिविधियों के कारण व स्रोत के बारे में जानना भी बाकी है।
इसी तरह से ब्लेजार व माइक्रो क्वेजार की गुत्थियों को सुलझाने के लिए देश के खगोल विज्ञानी पांच दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का हिस्सा होंगे। कार्यशाला का शुभारंभ पांच अप्रैल को होगा और समापन नौ अप्रैल को किया जाएगा। देश के अनेक विज्ञानी वर्तमान में इन तमाम रहस्यों को उजागर करने के लिए शोधरत हैं। इस कार्यशाला में सबके एक साथ होने से जेट्स समेत अंतरिक्ष की अन्य गुत्थियों को सुलझा पाना आसान हो जाएगा।
कार्यशाला में शामिल होंगे ये संस्थान
पांच दिवसीय कार्यशाला का नाम 'एस्ट्रो फिजिकल जेट्स एवं प्रेक्षण सुविधाएं राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्यÓ है। इसमें एरीज के साथ इसरो व आइआइए बेंग्लुरु, आयूका व एनसीआरए पुणे, बार्क व एसएनआइजी कोलकाता, टीआइएफआर, बार्क मुंबई व पीआरएल अहमदाबाद आदि वेधशालाओं के दो सौ से अधिक विज्ञानी शामिल होंगे।
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