अस्थमा रोगी सीलनयुक्त कमरे में न सोए, धूल, धूएं और केमिकल से भी बचें NAINITAL NEWS
अस्थमा रोग पूरी तरह ठीक नहीं हो सकता है लेकिन सही बचाव व इलाज से बीमारी को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।
हल्द्वानी, जेएनएन : अस्थमा रोग पूरी तरह ठीक नहीं हो सकता है, लेकिन सही बचाव व इलाज से बीमारी को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि अस्थमा रोगी सीलनयुक्त बंद कमरे में न सोए और न धूल, धूएं व केमिकल वाली जगह पर अधिक समय तक रहे। जितना बेहतर बचाव होगा, बीमारी उतनी अधिक नियंत्रित रहेगी। यह सलाह है एसटीएच के वरिष्ठ श्वास व दमा रोग विशेषज्ञ डॉ. डीसी पुनेरा की। वह रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर कार्यक्रम में लोगों को फोन के जरिये परामर्श दे रहे थे। वह एसटीएच के टीबी व चेस्ट रोग विभाग में सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को परामर्श देते हैं।
जानें कैसे बढ़ जाता है अस्थमा
बदलता मौसम अस्थमा को बढ़ा देता है। इस मौसम में एलर्जी होने की अधिक संभावना रहती है। इसलिए
अस्थमा रोगियों के लिए परेशानी बढ़ जाती है। अधिक प्रदूषण भी बीमारी की बड़ी वजह है। अत्यधिक ठंडी जगह जाना, ठंडी चीजें खाना व वायरल संक्रमण भी इस मर्ज को बढ़ा देता है।
अस्थमा के ये हैं मुख्य लक्षण
- सुबह व रात में सूखी खांसी अधिक होना
- सीने में भारीपन महसूस होना
- जुकाम लगना व छीकें आना
- सांस फूलने की समस्या
- छाती में जकडऩ होना
- गले में सीटी की तरह आवाज निकलना
बचाव जानना बेहद जरूरी
- धूल व धुएं से दूर रहें
- केमिकल से दूरी बनाएं
- फंगस से बचाव करें
- सीलन वाली जगह से दूर रहें
- घर में जानवरों से दूर रहें
- कमरे हवादार होने चाहिए
- धूल एकत्रित होने वाली दरी न बिछाएं
इलाज को लेकर दूर करें भ्रांतियां
डॉ. पुनेरा का कहना है कि अक्सर अस्थमा रोगी दवाइयां बीच में ही छोड़ देते हैं। इनहेलर नहीं लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर आप घर पर ही पीफ्लोमीटर से सांस नली की रुकावट की स्थिति पता करते रहते हैं तो भी डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाइयां कम या ज्यादा कर सकते हैं, लेकिन अपने मन से दवाइयां बंद नहीं करनी चाहिए। व्यक्ति की बीमारी के आधार पर ही इनहेलर के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। इसलिए इसे लेकर भ्रम पालना ठीक नहीं है।
जानें अस्थमा से जुड़े रोग एलर्जिक राइनाइटिस को
डॉ. पुनेरा का कहना है कि अस्थमा के साथ एलर्जिक राइनाइटिस होने की संभावना 80 फीसद है। अलग से एलर्जिक राइनाइटिस होने पर छीकें आना, नाक बंद होना, जुकाम लगने के लक्षण होते हैं। इसमें नेजल ड्राप डालने की सलाह दी जाती है। साथ ही जरूरत पडऩे पर एंटी एलर्जिक दवाइयां भी दी जाती हैं। इस बीमारी में कई बार नाक में पॉलिफ यानी मस्सा बन जाता है। इसमें ऑपरेशन की भी जरूरत पड़ जाती है।
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