रामनगर अस्पताल में महिला चिकित्सक के व्यवहार से भड़की आशाएं, प्रबंधन व डॉक्टर के खिलाफ की नारेबाजी
आशा कार्यकर्ताओं का कहना था कि उनकी एक साथी शनिवार को वह तीन गर्भवती महिलाओं को लेकर महिला चिकित्सक के पास आई थी। आरोप है कि चिकित्सक ने गर्भवती महिलाओं से गलत व्यवहार कर आशा को ओपीडी से बाहर निकलने को कहा।
जागरण संवाददाता, रामनगर: ठेके पर चल रहा संयुक्त चिकित्सालय आए दिन चर्चाओं में है। ताजा मामला आशा कार्यकर्ताओं का है। अभद्र व्यवहार को लेकर अब संयुक्त चिकित्सालय प्रशासन के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की आशाएं भड़क उठी। उन्होंने चिकित्सालय प्रबंधन व महिला चिकित्सक के खिलाफ गेट में हाय हाय के नारे लगाकर प्रदर्शन किया। रामनगर का अस्पताल आए दिन चर्चा में ही रहता है। कभी मरीज की मौत पर लापरवाही का आरोप लगाकर तीमारदार हंगामा करते हैं। तो कभी डॉक्टरों पर नशे में अस्पताल आने का आरोप लगता है। हफ्ता नहीं बीतने पाता अस्पताल हमेशा किसी न किसी विवाद में रहता ही है। डाक्टरों के खराब रवैये की खबरें सर्वाधिक सुनने को मिलती हैं। हर बार मामले को दबा दिया जाता है। पर किसी दिन मामला न संभला तो बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता।
आशा कार्यकर्ताओं का कहना था कि उनकी एक साथी शनिवार को वह तीन गर्भवती महिलाओं को लेकर महिला चिकित्सक के पास आई थी। आरोप है कि चिकित्सक ने गर्भवती महिलाओं से गलत व्यवहार कर आशा को ओपीडी से बाहर निकलने को कहा। सीएमएस से लिखित में शिकायत की गई। उसी रात एक गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर चिकित्सालय लाया गया। लेकिन उसे रेफर कर दिया गया। काशीपुर सरकारी हॉस्पिटल में पांच मिनट में सुरक्षित प्रसव हो गया। चिकित्सक के व्यवहार से अन्य गर्भवती महिला घबराने लगी है। आशाओं ने चिकित्सालय को ठेके से वापस लेने की मांग सरकार से की है।
आशा संगठन की अध्यक्ष रजनी भट्ट ने चेतावनी दी कि मांग पूरी नहीं होने पर वह देहरादून जाकर धरना देंगी। इस दौरान कमला आर्य, कुसुम लता, कविता रावत, सीता मनराल, प्रभा नेगी, हेमा मठपाल, उर्मिला रावत, विमला चौहान, शगुफ्ता, सीमा रावत, किरन रावत मौजूद रही। चिकित्साधीक्षक मणिभूषण पंत ने बताया कि आशाओं की जो भी शिकायत है, उसके लिए सर्विस प्रोवाइडर से बात की जाएगी। आशाओं की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।