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    दुर्लभ कस्तूरा मृग का प्राकृतिकवास अस्कोट अभयारण्य क्षेत्र बनेगा ईको सेंसेटिव जोन

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 25 Aug 2019 01:58 PM (IST)

    केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइड जारी होने के बाद सीमांत जिले में ईको सेंसेटिव जोन बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।

    दुर्लभ कस्तूरा मृग का प्राकृतिकवास अस्कोट अभयारण्य क्षेत्र बनेगा ईको सेंसेटिव जोन

    पिथौरागढ़, जेएनएन : केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की गाइड लाइन जारी होने के बाद सीमांत जिले में ईको सेंसेटिव जोन बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। वन विभाग ने अस्कोट अभयारण्य के अंतर्गत आने वाले 464.17 हेक्टेयर क्षेत्रफल का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया है। 
    नब्बे के दशक में डीडीहाट, धारचूला तहसील के बड़े हिस्से को अस्कोट अभयारण्य बनाया गया था। यह क्षेत्र दुर्लभ कस्तूरा मृग का प्राकृतिकवास है। पूर्व में अभयारण्य के अंतर्गत 111 गांव भी शामिल थे, जिनका विकास इसी वजह से ठप हो गया था। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने ग्रामीणों की परेशानी को देखते अधिसूचना जारी कर इन गांवों को अभयारण्य की सीमा से बाहर कर दिया था। अब अभयारण्य के अंतर्गत आने वाले 464.17 हेक्टेयर क्षेत्रफल को ईको सेंसेटिव जोन बनाने की तैयारियां शुरू  हो गई हैं। जोन के अंतर्गत अधिकांश हिस्सा उच्च हिमालय का है। कुछ हिस्सा नेपाल सीमा से लगा है। जोन के अंतर्गत मानव आबादी वाले हिस्से शामिल नहीं किए गए हैं। वन विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेज दिया है। जहां से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जाएगा।  केंद्र सरकार की मोहर लगने के बाद क्षेत्र ईको सेंसेटिव क्षेत्र घोषित हो जाएगा। जोन की घोषणा के साथ ही इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का खनन कार्य नहीं हो पाएगा और नहीं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले उद्योग लग पायेंगे। जोन के अंतर्गत हिमालय से निकलने वाली तमाम नदियां और बर्फ से आच्छादित क्षेत्र शामिल हैं। फिलहाल नदियों से खनन यहां आम है। 

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    टाइगर, लैपर्ड कॉरीडोर भी रहेगा सुरक्षित  
    अस्कोट अभयारण्य क्षेत्र से ही भारत-नेपाल के बीच टाइगर, लैपर्ड कॉरीडोर भी लगा है। टाइगर, लैपर्ड दोनों देशों के बीच आवागमन के लिए इसी कॉरीडोर का उपयोग करते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में अभी तक टाइगर नहीं दिखते थे, लेकिन अब हिमालय क्षेत्र भी इनसे दूर नहीं हैं। एक वर्ष पूर्व ही इस क्षेत्र में वन विभाग के सीसीटीवी कैमरे में टाइगर नजर आया था। भारत और नेपाल के पहाड़ से लगे मैदानी इलाकों में वन्य जीव अभयारण्य है, जिनसे होते हुए तमाम जानवर पहाड़ में पहुंच रहे हैं। ईको सेंसेटिव जोन बन जाने के बाद यह कॉरीडोर भी सुरक्षित रहेगा।

    शासन को भेजा गया प्रस्‍ताव 
    विनय भार्गव, प्रभागीय वनाधिकारी, पिथौरागढ़ ने बताया कि अस्कोट अभयारण्य के अंतर्गत जिले का ईको सेंसेटिव जाने बनाए जाने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। प्रदेश सरकार के माध्यम से प्रस्ताव केंद्र को भेेजा जाएगा, जहां से इस पर अंतिम मोहर लगेगी।

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