Ankita Bhandari Murder Case: हाई कोर्ट से पुलकित व सौरभ को नहीं मिली थी जमानत, सरकार ने किया था विरोध
Ankita Bhandari Murder Case उत्तराखंड के वनंतरा प्रकरण में पुलकित आर्य और सौरभ भास्कर की जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि अभियुक्तों की घटनास्थल पर मौजूदगी और जबरदस्ती वीआईपी सेवा देने के दबाव की पुष्टि हुई है। फोरेंसिक जांच और मृतका के चैट में भी इसका जिक्र है। परिवार ने सबूत मिटाने के आरोप लगाए।

जागरण संवाददाता, नैनीताल। पौड़ी गढ़वाल के चर्चित वनंतरा प्रकरण में ट्रायल कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा पा चुके मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्य तथा दूसरे अभियुक्त सौरभ भास्कर जमानत के लिए हाई कोर्ट भी पहुंचे थे। सरकार की ओर से जमानत का विरोध करने के लिए अधिवक्ताओं का पैनल तैयार किया गया था। इस मामले की सीबीआइ जांच को लेकर भी याचिका दायर हुई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर 2023 तथा 30 अगस्त 2024 को अलग-अलग सुनवाई करते हुए अभियुक्तों का जमानत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह एक संगीन अपराध है। अभी तक निचली अदालत में जितनी भी गवाहियां हुई है और उनके बयानों में भी इसकी पुष्टि हुई है कि घटना के समय इन अभियुक्तों की मौजूदगी घटनास्थल पर थी।
अभियुक्तों ने जबरदस्ती वीआइपी सेवा देने के लिए बार-बार दबाव डाला। फोरेंसिक जांच में भी इनकी लोकेशन घटनास्थल पर पाई गई। मृतका ने अपने वाट्सएप चैट में भी इसका जिक्र किया था। मृतका के परिवार की तरफ से कहा गया कि अभियुक्तों की ओर से सबूतों को मिटाने लिए वनंतरा रिसोर्ट में तोड़फोड़ की गई। सीसीटीवी तक बंद करा दिए गए और डीवीआर से भी छेड़खानी की है। रिसोर्ट स्वामी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित ने चीला बैराज में धक्का देकर युवती की हत्या की थी।
ट्रायल कोर्ट ने सही निर्णय दिया है। यह मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित था। सामान्यत: हत्या के केस में फांसी या आजीवन कारावास का ही प्रविधान है, रेयरेस्ट आफ रेयर केस में अदालतें फांसी की सजा सुनाती हैं। - नवनीश नेगी, हाई कोर्ट में पीड़ित परिवार के अधिवक्ता।
उत्तराखंड की जनता के हक में है निर्णय
वनंतरा मामले में संघर्षरत उत्तराखंड महिला मंच की डा. उमा भट्ट ने वनंतरा प्रकरण पर ट्रायल कोर्ट के निर्णय को उत्तराखंड व उत्तराखंड की बेटियों के हक में बताते हुए कहा कि महिला मंच लगातार पीड़ित परिवार के साथ खड़ा रहा। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी महिला मंच की मौजूदगी रही।
महिला मंच की ओर से फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट भी जारी की गई। डा भट्ट ने कहा कि इस मामले में मलाल यह रहा कि वीआइपी का पता नहीं चला। यमकेश्वर विधायक रेनू बिष्ट पर केस दर्ज नहीं किया गया, जबकि उनके निर्देश पर बुलडोजर चलाकर सबूत मिटाए गए।
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