Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फर्श वाले कमरे में भी करिए मशरूम का उत्‍पादन, सरकार ऐसे करेगी मदद

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Thu, 20 Dec 2018 06:54 PM (IST)

    मशरूम उत्पादन के लिए न तो किसी तरह के खेत-खलिहान की जरूरत है और न ही किसी उपजाऊ भूमि की। पक्के फर्श वाले कमरे में भी इसका उत्पादन किया जा सकता है।

    फर्श वाले कमरे में भी करिए मशरूम का उत्‍पादन, सरकार ऐसे करेगी मदद

    हल्द्वानी, जेएनएन : मशरूम उत्पादन के लिए न तो किसी तरह के खेत-खलिहान की जरूरत है और न ही किसी उपजाऊ भूमि की। पक्के फर्श वाले कमरे में महज एक झोपड़ी में लकड़ी की पेटियों में इसका उत्पादन किया जा सकता है। यही वजह है कि कम जोत वाले किसानों के लिए मशरूम उत्पादन आजीविका का बड़ा साधन बन रहा है। बाजार में एक टन मशरूम कंपोस्ट (बीज) की कीमत लगभग 8,400 रुपये हैं। जबकि सरकार की ओर से 50 प्रतिशत अनुदान के साथ किसानों व स्वरोजगारियों को एक टन कंपोस्ट महज 4,200 रुपये में उपलब्ध कराई जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड में कुल मशरूम उत्पादन 12395 मीट्रिक टन है। यह प्रदेश में कुटीर उद्योग के तौर पर विकसित हो रहा है। जिससे स्वरोजगार के साथ ही क्षेत्रीय उत्पादकों, लघु एवं सीमांत काश्तकारों की आर्थिक स्थिति में मशरूम एक बड़ा जरिया बन रहा है। अकेले कुमाऊं में तकरीबन 400लोग मशरूम उत्पादन से जुड़ चुके हैं। जिन्होंने नवंबर 2018 तक 92.50 टन मशरूम उत्पादन किया। प्रदेश की जलवायु विशेष रूप से बटन मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त है। जिसे 1000 फीट से 7500 फीट की ऊंचाई तक सुगमतापूर्वक उगाया जा सकता है।

    अल्मोड़ा से शुरू हुई खेती

    उत्तराखंड में सर्वप्रथम प्रायोगिक तौर पर मशरूम उत्पादन औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र चौबटिया अल्मोड़ा में बटन मशरूम की खेती वर्ष 1967-68 में प्रारंभ की गई। तथा इसके सफल उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु एवं विधि का निर्धारण भी इसी केंद्र में किया गया। वर्ष 1986-87 में भारत सरकार व नीदरलैंड सरकार के सहयोग से नैनीताल जिले के ज्योलीकोट में इंडोडच मशरूम परियोजना का शुभारंभ किया गया था। तब से लेकर आज तक यह परियोजना चल रही है।

    400 से ज्यादा लोग कर रहे खेती

    उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के च्योलीकोट स्थित इंडो-डच मशरूम परियोजना केंद्र में तीन दिवसीय प्रशिक्षण के बाद कोई भी किसान मशरूम उत्पादन से जुड़ सकता है। वर्ष 2018 में केंद्र में 400 लोगों को प्रशिक्षण के बाद 98 लाभार्थियों को मशरूम उत्पादन शुरू करने के लिए कंपोस्ट वितरण किया गया, जबकि 200 से ज्यादा लोगों ने मशरूम उत्पादन की तकनीकी जानकारी ली।

    तीन दिन के प्रशिक्षण में काम शुरू

    उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के च्योलीकोट स्थित इंडो-डच मशरूम परियोजना केंद्र में तीन दिवसीय प्रशिक्षण के बाद कोई भी किसान मशरूम उत्पादन से जुड़ सकता है। प्रशिक्षण में ईकाई की स्थापना, उत्पादन, रखरखाव, मशरूम तोडऩे, ग्रेडिंग और पैकिंग के साथ ही विपणन की जानकारी दी जाती है। साथ ही उत्पादन शुरू करने के लिए पचास प्रतिशत अनुदान दिया जाता है।

    उत्पादकों को सरकार दे रही सुविधा

    चंद्रप्रकाश पाठक, मुख्य मशरूम विकास अधिकारी, ज्योलीकोट ने बताया कि उत्तराखंड में मशरूम की खेती को व्यवसायिक रूप प्रदान किए जाने के लिए मशरूम उत्पादन एवं विपणन की नई योजना प्रारंभ की गई है, जो संचालित भी की जा रही है। साथ ही कई तरह की सुविधाएं उत्पादकों को सरकार की ओर से दी जा रही हैं।

    यह भी पढ़ें : सुबह की गुनगुनी धूप के बीच यहां करें रंग-बिरंगे मेहमान परिंदों का दीदार

    यह भी पढ़ें : बंटवारे के दुख की साझीदार हैं सरहद पार की ये गायें, जानें पूरी कहानी

    comedy show banner
    comedy show banner