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    उत्तराखंड बनने के बाद इस जिले में सबसे ज्‍यादा बढ़ी मुस्लिमों की संख्या, तेजी से बदल रही डेमोग्राफी

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 07:49 PM (IST)

    उत्तराखंड राज्य बनने के बाद नैनीताल जिले की जनसांख्यिकी में तेजी से बदलाव आया है। वर्ष 2001 से 2011 के बीच जिले की आबादी में 25.12% की वृद्धि हुई, जिसमें मुस्लिम आबादी में 39.53% की वृद्धि हुई, जो हिंदुओं और सिखों की तुलना में अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। स्थायी निवास प्रमाण पत्र में अनियमितताओं के कारण चिंता बढ़ गई है।

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    2011 की जनगणना में ही नैनीताल जिले में जनसांख्यिकीय बदलाव की सामने आ गई थी हकीकत। प्रतीकात्‍मक

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। राज्य गठन के 25 वर्षों में यहां की जनसांख्यिकी तेजी से बदली है। कुछ जिलों में मुस्लिम आबादी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसमें कुमाऊं मंडल के प्रवेश द्वार हल्द्वानी सहित नैनीताल जिला भी एक है। जहां मुसलमानों संख्या में हिंदू और सिक्खों की तुलना में काफी अधिक वृद्धि देखने को मिली है। इसकी पुष्टि सांख्यिकी पत्रिका में दर्ज जनगणना के आंकड़ों में होती है। रिकार्ड के अनुसार राज्य बनने के बाद वर्ष 2001 से 2011 के मध्य जिले की आबादी में 25.12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जिस तरीके से गलत तरीके से स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने के मामले सामने आए हैं।ऐसे में इन 14 वर्षों में यह संख्या कई गुना और बढ़ने का अनुमान है।

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    वर्ष 2001 में जनपद की आबादी 762909 थी, जो 2011 में बढ़कर 954605 हो गई थी। उत्तराखंड बनने के बाद हुई पहली जनगणना में जिले की कुल आबादी की तुलना में हिंदुओं की संख्या 85.89 प्रतिशत थी। दूसरी गणना में कुल संख्या का 84.82 हो गई। जबकि 2001 से 2011 के बीच नैनीताल जिले में हिंदुओं की संख्या 25.12 प्रतिशत बढ़ी थी। वहीं, मुस्लिम आबादी की बात करें तो 24 वर्ष पहले हुए जनगणना में संबंधित धर्म के लोगों की संख्या कुल आबादी की 11.34 प्रतिशत थी। जबकि 2011 में सामने आए आंकड़ों में बढ़कर 12.65 हो गई है।

    वहीं दो बार की जनगणना के बीच मुसलमानों की आबादी में 39 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई। सिक्खों की संख्या देखें तो 2001 से 2011 के बीच सिर्फ 8.14 प्रतिशत ही वृद्धि हुई। ऐसे में देखें तो कुल औसत में हिंदू धर्म के लोगों की संख्या कमी देखने को मिली है, तो वहीं मुस्लिम धर्म के लोगों का औसत बढ़ा है। इधर, हल्द्वानी में हिंदू आबादी से गुलजार जोशी विहार नाम की कालोनी होती थी, लेकिन बदलती जनसांख्यिकी के कारण यह अब मुस्लिम बहुल हो चुकी है और इसका नाम अब वारसी कालोनी हो चुका है।

    गौलापार में सिर्फ मुस्लिमों को एक कालोनी में प्लाट दिए जाने जैसे पूर्व में आए मामले बदलाव की पुष्टि करता है। इसे लेकर कई बार विवाद भी हो चुका है। 13 नवंबर को ही कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत की जांच में स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने में बड़ा रैकेट का पर्दाफाश भी किया गया। इसे लेकर अब खुफिया एजेंसी भी सक्रिय हो गई हैं। आशंका भी जताई जा रही है कि इस तरह के सक्रिय गिरोहों ने न जाने कितने और कहां-कहां के लोगों के स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना दिए। इसे लेकर प्रशासनिक महकमे में खलबली मची हुई है।

    नगर से ज्यादा गांव में बढ़ी संख्या

    जनगणना के आंकड़ों के अनुसार नैनीताल जिले के नगरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में मुस्लिम धर्म के लोगों की संख्या बढ़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में 2001 में 13304 मुस्लिम थे, जो वर्ष 2011 में बढ़कर 21454 हो गए। ऐसे में करीब 61.25 प्रतिशत वृद्धि हुई। वही शहरी क्षेत्र में 2001 में 73228 मुस्लिम थे। जो 2011 में बढ़कर 99288 हो गए यानी 35.58 प्रतिशत वृद्धि हुई। हालांकि, नगरीय क्षेत्रों में हमले से ही मुस्लिमों की संख्या अधिक थी लेकिन आंकड़ा बताता है कि ग्रामीण इलाकों की ओर रुख बढ़ा है।

    नैनीताल जिले आबादी की यह है स्थिति

    • धार्मिक संप्रदाय - 2001 - 2011 - वृद्धि
    • हिंदू - 655290 - 809717 - 23.56
    • मुस्लिम - 86532 - 120742 - 39.53
    • इसाई - 3739 - 5091 - 36.15
    • सिक्ख - 16107 - 17419 - 8.14
    • जैन - 332 - 356 - 7.22
    • अन्य - 78 - 181 - 132.05
    • धर्म नहीं बनाते वाले - 240 - 529 - 120.41
    • कुल - 762909 - 954605 - 25.12


    (स्रोत: सांख्यिकी पत्रिका 2005 व 2023 के अनुसार है। वृद्धि प्रतिशत में है।)

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