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    पंचगव्य स्नान के बाद मां बाराही को लगाया महाप्रसाद का भोग

    By Prashant MishraEdited By:
    Updated: Tue, 24 Aug 2021 11:27 PM (IST)

    जल से मंदिरों की सफाई और प्रसाद तैयार किया गया। गणेश पूजन के साथ सभी देवी देवताओं के मंदिरों में सफाई कर चंद्रायण कर पंच गव्य छिड़क कर अखंड दीप प्रवृति किए गए। अष्टोदर पूजन के बाद महाप्रसाद का भोग लगाया गया।

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    भगवती के प्राकृतिक जल स्रोत के पानी से स्नान करने पर विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है।

    जागरण संवाददाता, लोहाघाट (चम्पावत) : विश्व प्रसिद्ध मां बाराही धाम देवीधुरा में मंगलवार को पूजा अर्चना के साथ  चांद्रायण व्रतोद्यपान का आयोजन किया गया। जिसमें चार खाम सात थोक के मुखिया सहित श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। प्राचीन काल से चली आ रही परम्परा के अनुसार मां बाराही धाम स्थित प्राकृतिक जल स्रोत में सफाई की गई। जलाधिनाथ की स्तुति कर भगवती के प्राकृतिक जल स्रोत से मंदिर के लिए जल लाया गया। जल से मंदिरों की सफाई और प्रसाद तैयार किया गया। गणेश पूजन के साथ सभी देवी देवताओं के मंदिरों में सफाई कर चंद्रायण कर पंच गव्य छिड़क कर अखंड दीप प्रवृति किए गए। अष्टोदर पूजन के बाद महाप्रसाद का भोग लगाया गया।

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    मान्यता है कि भगवती के प्राकृतिक जल स्रोत के पानी से स्नान करने पर विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है। पंचगव्य का स्नान कराने के बाद जलाशय के पास रुद्राभिषेक का पाठ किया गया। पूजा अर्चना पीठाचार्य कीर्ति बल्लभ जोशी ने संपन्न कराई।  मुचकुंद ऋषि आश्रम में जाकर मां बाराही परिवार के समस्त देवी देवताओं और नन्दा पर्वत पर विराजमान एक हजार आठ देवियों का आहवान किया गया। बाद में बाराही मंदिर में भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया।

    चार खाम सात थोक के लोग ने पंचगव्य और प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ कमाया। इस दौरान  लमगडिय़ा खाम प्रधान पात्र  बीरेंद्र लमगडिय़ा, वालिक खाम से बद्री सिंह बिष्ट, चम्याल खाम गंगा सिंह चम्याल, गहडवाल खाम के त्रिलोक सिंह बिष्ट के प्रतिनिधि मोहन सिंह, कोट भैसर्क के नंदन सिंह बिष्ट, गुरना का प्रतिनिधि विशन दत्त्त पुजारी, टकना का प्रतिनिधित्व हरीश चंद्र पुजारी फुलारा कोट का प्रतिनिधित्व हीरा सिंह, बाराही मंदिर समिति के अध्यक्ष खीम सिंह लमडिय़ा, बद्री सिंह बिष्ट, दीवान सिंह बिष्ट, हयात सिंह बिष्ट, विशन चम्याल, रामेश राणा, उमेश महारा, देवेंद्र चम्याल, दीपक बिष्ट आदि मौजूद रहे।