नैनीताल राजभवन: 125 सालों से कायम है शान, विरासत व वैभव की अनूठी कहानी बयां कर रही भव्य इमारत
नैनीताल का राजभवन, जो 125 साल बाद भी अपनी भव्यता बनाए हुए है, स्कॉटिश महल की तरह दिखता है। अंग्रेजों द्वारा निर्मित, यह यूरोपीय और गौथिक वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। 220 एकड़ में फैले इस भवन में 115 कमरे हैं और यह अपनी अनूठी डिजाइन और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के पेड़ और फूलों की किस्में पाई जाती हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाती हैं।

नैनीताल का राजभवन।
किशोर जोशी, नैनीताल। आलीशान व बेजोड़ शिल्प के लिए दुनियां में प्रसिद्ध नैनीताल राजभवन स्कार्टिश महल की तरह निर्मित है। 27 अप्रैल 1897 में इसकी नींव पड़ी थी। राजभवन का निर्माण अंग्रेजों ने उत्तर पश्चिम प्रांतों के राज्यपाल के निवास के रूप में किया था।
यूरोपियन पैटर्न व गौथिक वास्तुकला आधारित राजभवन 125 साल पूरे होने के बाद भी दुनिया के आलीशान व खूबसूरत भवनों के रूप में तन कर खड़ा है।इसके डिजाइनर आर्किटेक्ट स्वीवंस व कार्यकारी अभियंता एफओडब्लू आर्टेल थे। अंग्रेजी के ई आकार में बनी इस इमारत के निर्माण में नार्थ वेस्ट प्रोविंस के गवर्नर सर एंथोनी पेट्रिक मेकडोनल्ड की खास भूमिका रही थी। आजादी के बाद इस भवन का नाम राजभवन रखा गया था।
विरासत व वैभव की की अनूठी कहानी बयां कर रही है भव्य इमारत
220 एकड़ राजभवन क्षेत्र में 160 एकड़ क्षेत्र जंगल है जबकि 1975 में 75 एकड़ क्षेत्रफल में गोल्फ मैदान बनाया गया। 1994 में राजभवन की सुंदरता को देखते हुए इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया। इतिहासकार प्रो. अजय रावत के अनुसार राजभवन की नींव ब्रिटेन के राजनिवास बर्किंघम पैलेस लंदन की तर्ज पर पड़ी थी। वर्ष 1900 में यह भवन बनकर तैयार हो गया। मुंबई में बने ऐतिहासिक छत्रपति शिवाजी टर्मिनल को डिजाइन करने वाले फेड्रिक विलियम स्टीवन ने ही राजभवन नैनीताल का डिजाइन तैयार किया था।
राजभवन के अलावा नैनीताल में पहले भी थे भवन
प्रो. रावत के अनुसार इस राजभवन के अलावा नैनीताल में पहले भी राजभवन बने हैं। अवध की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद 1862 में नार्थ वेस्ट प्राेविंस के गवर्नर का प्रवास शुरू हुआ। 115 कमरों के दोमंजिला भवन में स्वीमिंग पूल भी है। बर्मा टीक, स्थानीय पत्थर, इंग्लेंड से लाए गए शीशे व टाइल का प्रयोग कर एशलर फिनिशिंग से इस इमारत में चार चांद लगा दिए गए। भूगर्भीय परीक्षण के बाद इस राजभवन का निर्माण मजबूती से किया गया। इसकी वजह यह थी कि नैनीताल के दो राजभवन में कमजोर भूगर्भीय स्थिति के कारण दरार आ गई थी।
राजभवन नैनीताल में गुरुद्वारा की भी अनुमति दी गई थी, यह नैनीताल का पहला गुरुद्वारा था। राजभवन नैनीताल में 113 कमरे हैं। राजभवन में बांज, तलौंज, पुतली, देवदार, सुरई, अखरोट, चिनार सहित तमाम प्रजातियों के पेड़ तथा फूलों की तमाम किस्में इसके सौंदर्य में चार चांद लगा रहे हैं।
इन लकड़ियों का किया है उपयोग
     
राजभवन नैनीताल की खिड़कियों, फर्नीचर आदि बनाने में शीशम, साटिन, साइप्रस, साल की लकड़ियों का प्रयोग किया गया है। पीतल व लोहे के नल ब्रिटेन से लाए गए, सजावट के लिए कालीन फतेहपुर, आगरा व लखनऊ के लिए आया था। राजभवन नैनीताल में पहले वन महोत्सव की शुरुआत हुई थी। प्रो.रावत के अनुसार इस इमारत का निर्माण इस तरह किया गया है कि हर कमरे में सूर्य की राेशनी पड़े।

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