सर्दियों में बाघ-गुलदारों की ठीक रहे सेहत, इसलिए रखवाया जा रहा उपवास; खास रिपोर्ट
सर्दियों के मौसम में बाघ और गुलदारों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उपवास रखा जा रहा है। यह पहल वन्यजीवों की देखभाल और संरक्षण के प्रति समर्पण को दर्शाती है।

कार्बेट के रेस्क्यू सेंटर में रखे गए 11 बाघ व 14 गुलदारों का विशेष ख्याल. File
एजेंडा== सर्दियों में बाघ-गुलदारों की ठीक रहे सेहत इसलिए रखवाया जा रहा उपवास
= बाघों को सप्ताह में तीन दिन तो गुलदार को एक दिन नहीं दिया जाता मांस
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त्रिलोक रावत, जागरण. रामनगर(नैनीताल)। सेहत दुरुस्त रखने के लिए जानवर भी उपवास रखते हैं। कार्बेट के रेस्क्यू सेंटर में भी बाघों व गुलदारों का उपवास शुरू हो गया है। यह बात सुनने में अटपटी लगती है लेकिन सच है। बाघों को सप्ताह में तीन दिन तो गुलदारों का एक दिन उपवास रखवाया जा रहा है। यह इसलिए कि सर्दियों में उनका वजन ज्यादा न बढ़ पाए। उनकी सेहत फिट रखने के लिए कार्बेट पार्क प्रशासन तय डाइट चार्ट का पालन करा रहा है। रेस्क्यू सेंटर में वर्तमान में 11 बाघ व 14 गुलदार रखे गए हैं। इसी तरह नैनीताल जू में भी मौजूद भालू, रेड पांडा, ब्लू शीप, बाघ-गुलदार व अन्य प्राणियों को इन दिनों संतुलित भोजन दिया जा रहा है।
प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के तहत कार्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला जोन में बने रेस्क्यू सेंटर में घायल या बीमार बाघ व गुलदार को रखा जाता है। मानव-वन्यजीव संघर्ष का कारण बनने वाले बाघ-गुलदारों को पकड़कर भी रेस्क्यू सेंटर में लाया जाता है। उनकी शारीरिक अवस्था, बीमारी की स्थिति, आयु के आधार पर उन्हें रेस्क्यू सेंटर में रखा या उपचार के बाद छोड़ा जाता है। वर्तमान में यहां 11 बाघ व 14 गुलदार रखे हुए हैं। शिकार करने की क्षमता खत्म होने की वजह से इन बाघ व गुलदारों को विभाग अब जंगल में भी नहीं छोड़ सकता है। विभाग इन्हें पाल रहा है।
बाघ को आठ किलो बड़ा मांस (भैंस का) तो गुलदार को दो किलो चिकन खाने को दिया जाता है। बाघों को सप्ताह में मंगलवार, गुरुवार, शनिवार को मांस खाने को नहीं दिया जाता है। जबकि गुलदार को मंगलवार को चिकन नहीं दिया जाता है। इसके पीछे कार्बेट प्रशासन का कहना है कि बाघ व गुलदार रेस्क्यू सेंटर में ही रहते हैं। सीमित जगह पर होने की वजह से उनका चलना-फिरना भी ज्यादा नहीं हो पाता है। ऐसे में रोज मांस खाने से उनका वजन भी बढ़ सकता है। विशेषेज्ञ बताते हैं कि बाघ को खाने के लिए दिए जाने वाले भैंस के मीट में प्रोटीन व वसा की मात्रा ज्यादा होती है।
रोज मीट खाने से प्रोटीन की मात्रा ज्यादा बढ़ने से किडनी पर भी असर पड़ सकता है। इसके अलावा ज्यादा वसा शरीर के आंतरिक अंगों में जमा होने से उनकी कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो सकती है। जिससे उन्हें परेशानी भी हो सकती है। विशेषज्ञों के मुतााबिक बाघ का औसत वजन ढाई सौ से तीन सौ किलो व बाघिन का ढाई सौ किलो तक होता है। मांस के अलावा बाघ व गुलदार को कोई अन्य भोजन नहीं दिया जाता है। इधर, इन दिनों नैनीताल जू में मौजूद भालू, रेड पांडा, ब्लू शीप आदि को शहद व गुड़ अंडा आदि दिया जा रहा है।
बाघ-गुलदारों का रोज मांस खाने से वजन न बढ़े इसलिए यह डाइट चार्ट तैयार किया हुआ है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की भी यही गाइडलाइन है। उसी अनुरुप रेस्क्यू सेंटर में भी गाइड लाइन के तहत बाघ व गुलदारों को मांस दिया जा रहा है। - अमित ग्वासाकोटी, एसडीओ बिजरानी, कार्बेट प्रशासन
रेस्क्यू सेंटर में बाघ-गुलदार के भोजन पर खर्च धनराशि
- वित्तीय वर्ष -व्यय धनराशि
- 2021-22 -1345622
- 2022-23 -1845364
- 2023-24 -1830000
- 2024-25 -6000000
- 2025-26 -2991987 (30 सितंबर तक)

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