रोपवे में आई खराबी तकनीकी के कारण आसमान में अटकीं नौ लोगों की जिंदगी nainital news
नैनीताल में कुमाऊं मंडल विकास निगम के रोपवे में मंगलवार को तकनीकी गड़बड़ी आ गई। इससे दो ट्रॉलियों में बैठे करीब नौ लोग करीब आधे घंटे तक हवा में ही लटके रहे।

नैनीताल, जेएनएन : नैनीताल में कुमाऊं मंडल विकास निगम के रोपवे में मंगलवार को तकनीकी गड़बड़ी आ गई। इससे दो ट्रॉलियों में बैठे करीब नौ लोग करीब आधे घंटे तक हवा में ही लटके रहे। इसमें तीन पर्यटक भी थे, जिसके बाद केएमवीएन ने रेस्क्यू अभियान चलाया और ट्रॉली में रखी किट की मदद से सभी लोगों को सुरक्षित नीचे उतारा। करीब एक घंटे बाद तकनीकी गड़बड़ी दूर कर फिर से रोपवे का संचालन शुरू किया गया।
ट्रॉली में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर उतारा गया
रोपवे के प्रभारी शिवम शर्मा के अनुसार, मंगलवार शाम करीब चार बजे रोपवे का रेक्टीफायर शॉट हो गया तो स्नोव्यू की तरफ आने-जाने वाली दो ट्रालियां रुक गईं। स्नोव्यू को जा रही ट्रॉली में इलाहाबाद के तीन पर्यटक (दंपती व एक बच्चा), ऑपरेटर अभिषेक बोरा समेत आठ लोग और उधर से आ रही ट्रॉली में सिर्फ ऑपरेटर भगवान साह थे। अचानक से ट्रालियां हवा में अटकीं तो केएमवीएन प्रबंधन में हड़कंप मच गया और तत्काल रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया दिया। करीब आधे घंटे तक चले अभियान के बाद ट्रॉली में फंसे लोगों को सुरक्षित नीचे उतारा गया। रेस्क्यू अभियान में भगत सिंह, अमर साह, विपिन खुल्बे, राजेश आर्य, पंकज जोशी, गजेंद्र व चंदन शामिल थे। रेस्क्यू अभियान स्थानीय बच्चों समेत अन्य लोगों के लिए कौतुहल का विषय बना रहा।

1.32 करोड़ की लागत से होनी है मरम्मत
1985 में बने रोपवे के उपकरणों समेत मशीन की आयु पूरी हो चुकी है। इस कारण नियामक संस्था ने रोपवे की मरम्मत का सुझाव दिया है। इसके लिए टेंडर भी हो चुका है। गाजियाबाद की कंपनी को इसका जिम्मा सौंपा गया है। करीब 1.32 करोड़ की लागत से मरम्मत होनी है। अशोक जोशी, जीएम केएमवीएन का कहना है कि रोपवे की गड़बड़ी ठीक कर ली गई है। मरम्मत के लिए 1.32 करोड़ का टेंडर गाजियाबाद की कंपनी का हुआ है। अगले सप्ताह से मरम्मत कार्य को देखते हुए 20 दिन के लिए रोपवे बंद रहेगा।
खतरा होते ही बज उठते हैं सेफ्टी अलार्म
16 मई 1985 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने रोपवे का लोकार्पण किया था। सात सौ मीटर लंबाई के इस रोपवे को दो करोड़ आठ लाख की लागत से तैयार किया गया। इसमें 32 साल तक सेवारत रहे दिनेश उपाध्याय बताते हैं कि रोपवे में आस्ट्रिया का ऑटोमेटेड सिस्टम लगा है। 20 सेफ्टी अलार्म लगे हैं। कहीं पर भी तकनीकी गड़बड़ी होने पर ट्रॉली रुक जाती है। ट्रॉली में ही रेस्क्यू उपकरण भी रहते हैं। 2018 में ही रोप बदली गई है। सवारी के लिए इसमें किसी तरह का खतरा नहीं है।

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