Janta Curfew : खौफ में बनाया त्योहार सा माहौल, बच्चे से लेकर बूढ़ों में दिखा गजब का उत्साह
जहां हर कोई खौफ में है। नोवल कोरोना वायरस की आहट से ही दहशत में है। जिस वायरस ने पूरी दुनिया को हिला दिया है जिसने पूरे भारत में भी पांव पसार दिए।
हल्द्वानी, गणेश जोशी : जहां हर कोई खौफ में है। नोवल कोरोना वायरस की आहट से ही दहशत में है। जिस वायरस ने पूरी दुनिया को हिला दिया है, जिसने पूरे भारत में भी पांव पसार दिए। इस वैश्विक महामारी के मुहाने पर खड़े आम से खास व्यक्ति ने रविवार को पांच बजते ही थाली, शंख, घंटी जो मिले बजाना शुरू किया तो माहौल कुछ पल के लिए उत्सव सा बन गया। बिना त्योहार के चारों तरफ से बस छन-छन की आवाज ने किसी को उत्साहित कर दिया तो किसी को भावुक कर दिया।
थाली बजाने का फार्मूला हिट नही सुपरहिट
भागदौड़ भरी जिंदगी के अभ्यस्त हो चुके लोग जब अचानक अंजान बीमारी के आहट से भयभीत होकर घरों में दुबकने को मजबूर हुए तो छटपटाहट होना स्वाभाविक ही है। मनोवैज्ञानिक भी कहते हैं, घोर निराशाभरे दौर में मानसिक अशांति और डिप्रेशन तक का खतरा बढऩे लगता है। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी का घरों की छत से थाली बजाने का फार्मूला हिट ही नहीं, बल्कि सुपरहिट हो गया। कुछ लोगों को लगने लगा था कि 21वीं सदी के इस युग में अजीब तरह की हरकत तो नहीं है यह, जबकि इसे लेकर मनोवैज्ञानिक डॉ. युवराज पंत कहते हैं, दिन भर की खामोशी और घर में ही कैद रहने से होने वाली बोरियत से आपको इस तरह की गतिविधियां सुकून देती हैं। उत्साह का संचार करती हैं। माहौल को थोड़ा हल्का करती हैं जो मानसिक सेहत के लिए भी बेहद जरूरी मानी जाती हैं।
बच्चों की तरफ हाथ हिलाया और भावुक हो गई
सीएमओ डॉ. भारती राणा कहती हैं, बस, हर समय कानों में कोरोना-कोरोना ही गूंज रहा था। जब मैं मोतीनगर प्रिशक्षण केंद्र से लौट रही थी तो छोटे-छोटे बच्चे भी हमारे लिए थाली बजा रहे थे। यह बहुत अच्छा भी लगा। मैंने उन बच्चों की तरफ हाथ हिलाया और भावुक हो गई। वहीं, इस इवेंट को सोशल मीडिया ने भी हाथों हाथ लिया। पूजा भोला लिखती हैं, गजब, दहशत में भी सकारात्मकता।
ब्लॉगर अशोक पांडे ने कहा, गंद मचनी शुरू
नवनीत सिंह राणा फेसबुक पर अपने बच्चों के बैंड बजाते हुए फोटो शेयर कर लिखते हैं, कोरोना तू देख ले, इंडिया में तेरी बैंड बजा देंगे। लेकिन प्रसिद्ध साहित्यकार व ब्लॉगर अशोक पांडे इसकी आलोचना करने से नहीं चूके, उनका फेसबुक पोस्ट है, आठ घंटे की खामोशी के बाद शुरू हो गई गंद मचनी। बधाई, आर्यर्वितयों, इस क्षण को मरने के दिन तक याद रखना।
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