कृत्रिम गर्भाधान में उत्तराखंड देश में आठवें स्थान पर, राज्य के 12 जिलों में योजना जारी nainital news
गाय-भैंसों की देशी नस्ल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत प्रत्येक गांव में 200 पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान निश्शुल्क किया जा रहा है।
हल्द्वानी, शहबाज अहमद : गाय-भैंसों की देशी नस्ल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत प्रत्येक गांव में 200 पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान निश्शुल्क किया जा रहा है। योजना में उत्तराखंड देश में आठवें नंबर पर है। यूएसनगर को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में यह योजना चलाई जा रही है। राज्य में अब तक दो लाख 40 हजार में से 68,576 पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया जा चुका है।
300 गांवों तक कृत्रिम गर्भाधान
यह योजना 15 सिंतबर 2019 से शुरू की गई थी और 15 मार्च तक चलना है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिलों में सौ गांव चिह्नित किए हैं। इसके अलावा शासन से आदेश है कि चिह्नित गांवों में अगर पशुओं की संख्या कम है, तो विभाग करीब 300 गांवों तक कृत्रिम गर्भाधान कर सकता है। इसमें साहिवाल, गिरी, मालवी, निमाड़ी और थारपारकर जैसी नस्लों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे आने वाले समय में दूध की गुणवत्ता सुधारी जाएगी, ताकि दूध उत्पादकों की आय दोगुनी की जा सके।
कृत्रिम गर्भाधान में जिलों की स्थिति
जिले पशु संख्या
हरिद्वार 13344
अल्मोड़ा 7673
पौड़ी 5062
देहरादून 8001
बागेश्वर 3732
उत्तरकाशी 4632
नैनीताल 6223
पिथौरागढ़ 4124
टिहरी 3570
चम्पावत 5452
चमोली 2886
रुद्रप्रयाग 3877
देश के टॉप फाइव स्टेट
कृत्रिम गर्भाधान में देश के शीर्ष पांच राज्यों में तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ शामिल हैैं। तीन लाख 54 हजार कृत्रिम गर्भाधान करने वाला तेलंगाना पहले स्थान पर है।
यूएसनगर ने पहले ही हासिल किया लक्ष्य
ट्रायल के तौर पर वर्ष 2019 में ऊधमसिंह नगर को कृत्रिम गर्भाधान के लिए छह माह का लक्ष्य मिला था, जिसमें समयानुसार लक्ष्य को पूरा किया गया था। इसके चलते इस बार प्रदेश में 12 जिलों में ही कृत्रिम कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वहीं उत्तराखंड पशुधन विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. एमएस नयाल ने बताया कि केंद्र सरकार के इस प्रोग्राम के तहत गाय व भैंसों का कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है। इसका सीधा लाभ पशुपालन को पहुंचेगा, जिससे दुग्ध उत्पादकों की आय में बढ़ोतरी होगी। उत्तराखंड के आठवें स्थान पर आने में सभी की मेहनत रही है।
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