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    हमें मस्जिद भी प्यारी है, हमें मंदिर भी प्यारा है..

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    Updated: Sun, 21 Aug 2016 09:41 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, नैनीताल : युगमंच की ओर से प्रतिबद्ध सांस्कृतिक यात्रा के चार दशक के अंतर्गत गिर्

    जागरण संवाददाता, नैनीताल : युगमंच की ओर से प्रतिबद्ध सांस्कृतिक यात्रा के चार दशक के अंतर्गत गिर्दा-विरेन दा की स्मृति में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में कवियों ने मौजूदा व्यवस्था पर कटाक्ष कर शोषित-वंचितों के पक्ष में आवाज बुलंद की।

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    रविवार को नैनीताल क्लब में जनकवि बल्ली सिंह चीमा की अध्यक्षता में आयोजित कवि सम्मेलन में इतिहासकार प्रो. शेखर पाठक द्वारा जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा व प्रसिद्ध रचनाकार विरेन डंगवाल के व्यक्तित्व व कृतित्व के साथ ही उनके द्वारा वंचित व शोषितों के साथ ही जल, जंगल और जमीन के हक में किए गए कार्यो का बखान किया। सम्मेलन में कवि तुकी बाजपुरी ने गुरु बसता हो जिस घर, वहीं तो गुरुद्वारा है, हमें मस्जिद भी प्यारी है, हमें मंदिर भी प्यारा है, न मुस्लिम कहो मुझको, न हिन्दू ही कहो मुझको सुनाकर सभी में जोश भर दिया। कवि जहूर आलम ने पहाड़ के अवैज्ञानिक दोहन से हो रही दिक्कतों का जिक्र करते हुए, हमेशा की तरह फिर से दरक रहा है पहाड़, पड़े जो छींटे तो नीचे सरक रहा है पहाड़, तहस नहस हुए परिवार, खेत हर गांव, अनाथ बच्चे सा अब सर पटक रहा है पहाड़ सुनाया। शिक्षक हेमंत बिष्ट ने ये आलीशान कोठी लॉन और विशाल रेत के नीचे दफन हुई है, मेरे काकज्यू की कानली पढ़ा। प्रभात गंगोला ने गोकुल गो नंद घर शकुनाखर है रई, हिटो दीदी सब कुनई, द्याप्त पैद हरई अपने अंदाज में सुनाया। मनोहर बृजवाले ने इन सड़कों पर चल सकते हैं, शोषण के भारी भरकम जूते सुनाकर भ्रष्टाचार पर कटाक्ष किया।

    दिनेश उपाध्याय ने रचना पढ़ी, नाटक लिखा है, गीता लिखा है, बसीयत में जनयुद्ध लिखा है, जनयुद्ध की अलख जगाएं, हम गिर्दा के बच्चे। प्रसिद्ध जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने मुझे उनकी कही हर बात मनवाने की जल्दी थी, उन्हें भी अपने वादों से मुकर जाने की जल्दी थी, अगर वो चाहते तो शहर में दंगा नहीं होता, मगर उनको तो कुर्सी तक पहुंच जाने की जल्दी थी पढ़ा तो तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठीं। काशीपुर के डॉ. मनोज आर्य ने कहा उनके निर्देश पर गजल लिखना यानि असफल को सफल लिखना है, कई बंदिशें कलम पे मनोज, कितना मुश्किल है। नैनीताल पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण उर्फ मास्साब ने रचना पढ़ी, मैंने सोचा मेरा अपना छोटा सा इक घर होगा, भाबर मेरा आंगन हराभरा खुशियों का दर होगा कविता प्रस्तुत की।

    इस मौके पर बीमार रंगकर्मी नवीन बेगाना के उपचार के लिए 20 हजार की मदद जुटाई गई। कवि सम्मेलन का संचालन संचालन अधिवक्ता त्रिभुवन फत्र्याल ने किया। राजीव लोचन साह, दिनेश कुंजवाल, डॉ. लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही, गिर्दा की धर्मपत्नी हेमलता तिवाड़ी, डॉ. दीपा कांडपाल, मोहन सिंह रावत, डॉ. अनिल कार्की, प्रदीप लोहनी, राजा साह, जावेद, जितेंद्र बिष्ट, भास्कर बिष्ट, मनोज कुमार, हिमांशु पांडे, उमा भट्ट, शीला रजवार, इंद्र लाल साह, मिथिलेश पांडे, भारती जोशी आदि मौजूद थे।