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    दिव्यांग युवती से दुष्कर्म में 12 साल का कठोर कारावास, कई बार की दरिंदगी; अविवाहित पीड़िता की एक बच्‍ची भी

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 01:09 PM (IST)

    एक दिव्यांग युवती से दुष्कर्म के मामले में अदालत ने अभियुक्त को 12 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह फैसला सुनाया। इस फैसले से पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिला है। अभियुक्त को जुर्माना भी भरना होगा।

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    दिव्यांग युवती से दुष्कर्म में अभियुक्त को 12 साल कठोर कारावास. Concept Photo

    जागरण संवाददाता, नैनीताल। जिला एवं सत्र न्यायाधीश नैनीताल हरीश कुमार गोयल की अदालत ने 95 फीसदी दिव्यांग युवती के साथ बार-बार दुष्कर्म करने और आपराधिक धमकी देने के दोषी भीमताल के सांगुडी गांव निवासी अजय कुमार आर्य को 12 साल के कठोर कारावास और 15 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है।

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    अभियुक्त अजय कुमार आर्य ने 95 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम पीड़िता महिला के अकेलेपन का फायदा उठाकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया और भेद खोलने पर जान से मारने की धमकी दी। इस अविवाहित युवती की एक बच्ची भी हुई है। डीएनए रिपोर्ट में बच्चे का जैविक पिता अभियुक्त अजय को नहीं पाया गया, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डीएनए का मिलान न होना दुष्कर्म के कृत्य को गलत साबित नहीं करता। कोर्ट के आदेश के बाद अभियुक्त को जेल भेज दिया गया।


    जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा के अनुसार 19 अगस्त 2024 को पीड़िता की भाभी ने युवती से तीन चार माह से मासिक धर्म नहीं होने की वजह पूछी। उसने बताया कि होली के कुछ दिन पूर्व जब वह अकेली थी तो अभियुक्त अजय कमरे में आया और जबर्दस्ती शारिरिक संबंध बनाए। साथ ही किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद पीड़िता को डाक्टर को दिखाया तो चिकित्सकीय परीक्षण में उसके गर्भवती होने की पुष्टि हुई। इसके बाद भीमताल थाने में पीड़िता की भाभी ने मुकदमा दर्ज कराया। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा की ओर से आरोप साबित करने के लिए आठ गवाह पेश किए। कोर्ट ने अभियुक्त को सजा सुनाने के साथ ही


    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल पीड़िता और अपराध के परिणामस्वरूप पैदा हुई उसकी नाबालिग बेटी के पुनर्वास, चिकित्सा और शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उचित और पर्याप्त मुआवज़ा राशि का आकलन कर उसे प्रदान करे। दोषी अजय कुमार आर्य को कोर्ट की कार्रवाई के बाद हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है। इस मामले में महत्वपूर्ण है कि दुराचार से जन्मी बच्ची के वास्तविक जैविक पिता की पहचान नहीं हो सकी है। दिव्यांग महिला सही से बोलने,चलने,फिरने में भी असमर्थ है और पूरी तरह से परिवार जनों पर निर्भर है ।


    कोर्ट की टिप्पणी


    अपराध के पीड़ितों की पुकार पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है, जिनके लिए संविधान अपनी प्रस्तावना में 'न्याय' की गारंटी देता है। पीड़ित के आंसू कैसे पोंछे जा सकते हैं, जब व्यवस्था ही सबूत जुटाने के अभाव में या ऐसा माहौल बनाने के अभाव में दोषियों को सजा देने में लाचार है, जिसमें गवाह निडर होकर अदालत के सामने सच पेश कर सकें? अपराधी को सज़ा मिले या न मिले, पीड़िता को न्याय मिलना ही चाहिए। पीड़िता शारीरिक रूप से अक्षम महिला है, जिसका अभियुक्त द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया था। उसे गंभीर शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सामाजिक आघात पहुंचा है, जिसके लिए केवल अभियुक्त ही जिम्मेदार है। इस क्षति की आर्थिक रूप से भरपाई नहीं की जा सकती।