Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    12 साल की मेहनत हुई सफल, अब लहलहाएगी ‘पंत जौ 1106’ की फसल

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 07:10 PM (IST)

    गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर ने कृषि अनुसंधान में जौ क्रांति की ओर कदम बढ़ाए हैं। श्रीअन्न की तरह पौष्टिकता से भरपूर जौ की नई उच्च उत्पादक किस्म ‘पंत जौ 1106’ (यूपीबी 1106) विकसित की है। स्वास्थ्य के लिए उपयोगी जौ की इस प्रजाति को तैयार करने में विज्ञानियों को लगभग 12 वर्ष लगे।

    Hero Image
    पंतनगर में ‘पंत जौ 1106’ प्रजाति की तैयार फसल। सौ- विवि

    गणेश जोशी, हल्द्वानी। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर ने कृषि अनुसंधान में जौ क्रांति की ओर कदम बढ़ाए हैं। श्रीअन्न की तरह पौष्टिकता से भरपूर जौ की नई उच्च उत्पादक किस्म ‘पंत जौ 1106’ (यूपीबी 1106) विकसित की है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्वास्थ्य के लिए उपयोगी जौ की इस प्रजाति को तैयार करने में विज्ञानियों को लगभग 12 वर्ष लगे। अब केंद्रीय प्रजाति विमोचन समिति ने इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम समेत पूर्वोत्तर के पर्वतीय राज्यों में खेती के लिए स्वीकृत कर लिया है। यानी इन राज्यों में यह बीज बेहतर पैदावार व गुणवत्ता के लिहाज से उपयुक्त पाया गया है।

    अब तक देश के विभिन्न क्षेत्रों और जलवायु के लिए 140 से अधिक जौ की किस्मों का विकास किया जा चुका है। पंत विवि के गेहूं एवं जौ अनुसंधान परियोजना के समन्वयक डॉ. जय प्रकाश जायसवाल ने बताया कि पंत जौ 1106 अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता वाली किस्म है। इस किस्म ने प्रचलित किस्मों एचयूबी 113 और डीडब्ल्यूआरबी 137 की तुलना में क्रमशः 19.94 प्रतिशत और 10.32 प्रतिशत अधिक उपज दी है।

    राष्ट्रीय परीक्षणों में पंत जौ 1106 की औसत उपज 44.57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम उपज क्षमता 74.93 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की है। इस किस्म में एक गुण यह भी कि भूरे व पीले रतुए (रस्ट्स) तथा लीफ ब्लाइट जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखता है। अच्छे जल निकास व मध्यम उर्वरा शक्ति वाली दोमट भूमि बुवाई के लिए उपयुक्त है। नवंबर में ही इसकी बुआई की करनी है। 2024-25 में देश में जौ की खेती कुल सात लाख हेक्टेयर में की गई और 22 लाख टन उत्पादन हुआ। वर्तमान में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा व पंजाब सर्वाधिक जौ उत्पादन करते हैं।

    प्रोटीन अधिक और मधुमेह में भी लाभकारी

    डॉ. जायसवाल के अनुसार जौ मधुमेह (डायबिटीज) के रोगियों के लिए इसीलिए लाभप्रद है कि इसमें रेशे (फाइबर) की मात्रा अधिक होती है। श्री अन्न की तरह जौ भी पोषक तत्वों से भरपूर है। यह कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली फसल है। वर्तमान में बाजार के कई मल्टीग्रेन उत्पादों में इसका उपयोग हो रहा है। यह पोषण की दृष्टि से भी लाभकारी है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 12.3 प्रतिशत पाई गई है, जो कि एचयूबी 113 में 11.7 प्रतिशत और डीडब्ल्यूआरबी 137 में 11.2 प्रतिशत से अधिक है।

    विज्ञानियों के योगदान को कृषि मंत्री से सम्मान

    इस किस्म का विकास अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विज्ञानियों परियोजना समन्वयक डॉ. जेपी जायसवाल, डॉ. स्वाति तथा डॉ. अनिल कुमार की ओर से किया गया है। इसमें शस्य विज्ञानी डॉ. राजीव कुमार और पादप रोग विज्ञानी डॉ. दीपशिखा, इम्तियाज अहमद, राकेश कुमार यादव और बीएस बिष्ट भी सहयोगी रहे। वहीं इस किस्म के लिए 25 से 27 अगस्त तक हुई 64वीं अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यकर्ता वार्षिक बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय को सम्मानित किया।

    कृषि विज्ञानियों की ओर से विकसित पंत जौ 1106 का छह राज्यों के लिए स्वीकृत होना हमारे लिए गर्व की बात है। यह उपलब्धि हमारे विज्ञानियों की कठोर मेहनत और अनुसंधान क्षमता का परिणाम है। साथ ही विवि की उस परंपरा को भी आगे बढ़ाती है जिसके अंतर्गत देश को उच्च उत्पादक और गुणवत्तायुक्त किस्में उपलब्ध कराई जाती रही हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जब मल्टीग्रेन उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। यह किस्म कृषि एवं उद्योग दोनों को नई दिशा प्रदान करेगी।- प्रो. मनमोहन सिंह चौहान, कुलपति, जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि, पंतनगर