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    Uttarakhand: जैसलमेर में मिला विश्व का सबसे पुराना डायनासोर जीवाश्म, 167 मिलियन साल पुराने बताए जा रहें अवशेष

    By Jagran NewsEdited By: Prince Sharma
    Updated: Wed, 09 Aug 2023 05:00 AM (IST)

    Rajasthan भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के विज्ञानियों ने जैसलमेर (राजस्थान) में लंबी गर्दन वाले ...और पढ़ें

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    Uttarakhand: जैसलमेर में मिला विश्व का सबसे पुराना डायनासोर जीवाश्म

    जागरण संवाददाता, रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के विज्ञानियों ने जैसलमेर (राजस्थान) में लंबी गर्दन वाले शाकाहारी डिक्रियोसारिड डायनासोर के सबसे पुराने जीवाश्म अवशेषों की खोज की है। विज्ञानियों ने इसे थारुसारस इंडिकस नाम दिया है।

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    डायनासोर की उत्पत्ति भारत में हुई

    विज्ञानियों का दावा है कि यह जीवाश्म लगभग 167 मिलियन वर्ष पुराना है। आइआइटी रुड़की के भूविज्ञान विभाग के प्रोफेसर सुनील वाजपेयी का कहना है कि इस जीवाश्म के अध्ययन से पता चला है कि डायनासोर की उत्पत्ति भारत में हुई और इसके बाद ही वह चीन समेत अन्य देशों में फैले। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स नेचर में प्रकाशित हुआ है।

    जीवाश्म 167 मिलियन साल पुराना है

    इसमें कहा गया है कि डायनासोर का यह जीवाश्म 167 मिलियन साल पुराना है और विज्ञानियों को अब तक डायनासोर की इस प्रजाति का पता नहीं था। विज्ञानियों ने थार मरुस्थल के नाम पर इसे थारुसारस इंडिकस नाम दिया है। यह थार मरुस्थल का पहला नाम है। विज्ञानियों के अनुसार डिक्रियोसारिड डायनासोर के जीवाश्म उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका और चीन में पाए गए, लेकिन भारत में ऐसे जीवाश्म ज्ञात नहीं थे।

    IIT रुड़की में इस जीवाश्म का विस्तृत अध्ययन किया।

    प्रोफेसर सुनील वाजपेयी के अनुसार संस्थान के विज्ञानियों ने जीएसआइ जयपुर के साथ मिलकर वर्ष 2018 में जैसलमेर के मध्य जुरासिक पहाड़ियो पर एक व्यवस्थित जीवाश्म अन्वेषण और उत्खनन कार्यक्रम शुरू किया था। इसी दौरान उन्हें डायनासोर की इस नई प्रजाति का जीवाश्म मिला।

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    प्रोफेसर वाजपेयी के मुताबिक इस डायनासोर के शरीर के कुछ ही हिस्से मिले हैं। मसलन रीढ़ का पिछला भाग और कुछ अन्य हिस्से। पांच वर्ष तक उन्होंने अपने एक सहयोगी प्रोफेसर देवाजीत दत्ता के साथ मिलकर आइआइटी रुड़की में इस जीवाश्म का विस्तृत अध्ययन किया।

    बताया कि जिस चट्टान में यह जीवाश्म मिला, वह 167 मिलियन वर्ष पुरानी है। यह दुनिया का सबसे पुराना डिक्रियोसारिड डायनासोर है, जो चीन में मिले डायनासोर की तुलना में दो मिलियन वर्ष पुराना है।

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    ऐसे में यह माना जा सकता है कि इस प्रजाति के डायनासोर की उत्पत्ति भारत में हुई और इसके बाद वह विश्व के विभिन्न हिस्सों में फैली। विदित हो कि चीन में मिला डिक्रियोसारिड डायनासोर का जीवाश्म 165 मिलियन वर्ष पुराना है।