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    कभी चूल्हा-चौका तक सिमटी महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर, अन्य महिलाओं को भी रोजगार देकर बना रहीं सशक्त

    Updated: Sat, 05 Apr 2025 09:28 PM (IST)

    राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और डिजिटल माध्यमों की मदद से हरिद्वार के नूरपुर पंजनहेड़ी गांव की 10 महिलाओं ने सिलाई जूट बैग व पाक कला के जरिये प्रति माह 15000 रुपये तक कमाना शुरू कर दिया है। इन महिलाओं ने ‘आंटी जी का ढाबा’ खोला जिससे रोजाना 3000 रुपये की आय होती है। अब ये महिलाएं 15 अन्य महिलाओं को भी रोजगार देकर उन्हें सशक्त बना रही हैं।

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    कभी चूल्हा-चौका तक सिमटी महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर - जागरण

    शैलेंद्र गोदियाल, हरिद्वार। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के मार्गदर्शन और संचार क्रांति के सही उपयोग ने उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में स्थित नूरपुर पंजनहेड़ी गांव की 10 महिलाओं की जिंदगी बदल दी। कभी घर की देहरी तक सिमटी ये महिलाएं आज स्वरोजगार से प्रति माह 15 हजार रुपये तक कमा रही हैं।

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    इस प्रयास से न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति बदली, बल्कि जीवनस्तर में भी सुधार आया है। अब ये महिलाएं खर्च के लिए पति पर निर्भर नहीं रहतीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर पति व परिवार की आर्थिक रीढ़ बन रही हैं।

    हरिद्वार शहर से लगभग सात किमी की दूरी पर है नूरपुर पंजनहेड़ी गांव। यहां रहने वाली बिमला जोशी, सुमन देवी, नीरज देवी, परमजीत कौर, लाली, दुलारी, कंचन जोशी, सोमवीरी, सुनीता व बबीता वर्ष 2017 से पहले पारिवारिक जिम्मेदारियों में उलझी हुई थीं।

    उनका जीवन चूल्हा-चौका तक सीमित था और आर्थिक तंगी के कारण आवश्यक वस्तुओं से भी समझौता करना नियति बन गया था। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने इन महिलाओं को समूह बनाकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया।

    महिलाओं को बात समझ में आई और उन्होंने यू-ट्यूब से सिलाई-बुनाई के साथ झाड़ू, जूट बैग, फ्लावर ज्वेलरी और हेयर बैंड बनाना सीखा। इसके बाद मिशन के आर्थिक सहयोग से राधा स्वामी समूह स्थापित कर इसे रोजगार का आधार बनाया। मिशन की तरफ से समूह को स्वरोजागर के लिए सरस विपणन केंद्र के पास दुकानें भी दी गईं, जहां ये महिलाएं कार्य करती हैं।

    पाक कला से भी धनार्जन

    समूह पाक कला से भी धनार्जन कर रहा है। वर्ष 2020 में समूह ने सरस विपणन केंद्र के पास ‘आंटी जी का ढाबा’ खोला। शुरुआत में यहां सिर्फ चाय-पकौड़ी मिलती थी, बाद में ग्राहकों की मांग पर भोजन भी परोसा जाने लगा। आज इस ढाबे पर प्रतिदिन 2,500 से 3,000 रुपये की ब्रिकी होती है। इसी वर्ष 28 जनवरी से 13 फरवरी तक 38वें राष्ट्रीय खेलों के दौरान इन महिलाओं ने 3,150 पैकेट भोजन रोशनाबाद स्टेडियम पहुंचाया। कई सरकारी व निजी संस्थाओं की बैठक में भोजन आदि का जिम्मा भी इन महिलाओं को मिलता है।

    15 अन्य महिलाओं को किया सशक्त

    समूह की शुरुआत करने वाली महिलाओं ने इस समूह से न सिर्फ खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि गांव की अन्य 15 महिलाओं को भी रोजगार देकर सशक्त कर रही हैं। ये महिलाएं भी प्रतिमाह आठ हजार रुपये तक कमा रही हैं।

    जीवनस्तर में आया सुधार

    समूह से जुड़ी महिलाओं के घर पहले कच्चे व सुविधाओं से वंचित थे, लेकिन आज सभी के पास सुविधायुक्त पक्के घर हैं। अब ये महिलाएं अपने बच्चों को अच्छे निजी विद्यालयों में पढ़ा रही हैं। इनमें स्वास्थ्य, स्वच्छता व शिक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है।

    कई मंचों पर मिला सम्मान

    मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी के साथ ही कई संस्थाएं इस समूह से जुड़ी महिलाओं को सम्मानित कर चुके हैं। समूह की अध्यक्ष बिमला जोशी ग्राम संगठन समूह व सरस विपणन केंद्र की संचालक, क्लस्टर लेवल फेडरेशन की अध्यक्ष होने के साथ ही सिलाई व ऐपण कला की मास्टर ट्रेनर भी हैं। नीरज देवी समूह की कोषाध्यक्ष हैं और बैंक सखी के रूप में कार्यरत हैं। बबीता झाड़ू निर्माण व सुमन देवी ऊनी उत्पाद बनाने की मास्टर ट्रेनर हैं। ढाबा संचालन का जिम्मा परमजीत कौर के पास है।