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    नशा माफिया ने घर की महिलाओं को बनाया तस्करी का हथियार, ANTF की कार्रवाई में हुआ खुलासा

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 11:24 AM (IST)

    हरिद्वार में नशा माफिया अब महिलाओं का इस्तेमाल स्मैक तस्करी के लिए कर रहे हैं। एएनटीएफ ने पिछले साल 10 से ज्यादा महिलाओं को स्मैक लाते पकड़ा है जिनमें से कई पति के कहने पर यह काम कर रही थीं। तस्कर बरेली से स्मैक लाकर अलग-अलग रास्तों से तस्करी करते हैं जिससे बचने के लिए महिलाएं बस या ट्रेन का इस्तेमाल करती हैं।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। नशा माफिया अब पुलिस और खुफिया एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए महिलाओं को स्मैक तस्करी में इस्तेमाल कर रहे हैं। जिले की एएनटीएफ (एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स) की पिछले एक साल की कार्रवाई में 10 से ज्यादा महिलाएं बरेली से स्मैक लाती हुई पकड़ी गई हैं।

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    अधिकांश महिलाएं अपने पति के कहने पर स्मैक ला रही थीं। महिलाओं के सहारे नशा तस्करी के इस जाल से निपटने के लिए एएनटीएफ में महिलाओं की संख्या बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।

    हरिद्वार-देहरादून सहित प्रदेश के अधिकांश जनपदों में स्मैक की खेप बरेली से पहुंचती है। वहीं, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर तक पहुंचने के लिए तस्कर अमूमन हरिद्वार से होकर गुजरते हैं। एएनटीएफ हरिद्वार की टीम ने बीते दो सालों में कई बड़े खेप के साथ नशे के सौदागरों को गिरफ्तार किया है।

    पिछले एक साल में नशा तस्करी का ट्रेंड थोड़ा बदला है। नशा माफिया ने धंधे में महिलाओं को उतार दिया है। बरेली से छोटे-छोटे पैकेट में स्मैक महिलाओं को सौंपकर अलग-अलग मार्गों से तस्करी कराई जा रही है। जांच में सामने आया कि अधिकांश महिलाएं अपने घर के पुरुष सदस्यों के दबाव या कहने पर इस धंधे में शामिल होती हैं।

    इससे नशा माफिया को फायदा यह मिलता है कि महिलाएं अक्सर चेकिंग में शक के दायरे में कम आती हैं। इसके बावजूद एएनटीएफ सेल प्रभारी निरीक्षक विजय सिंह के नेतृत्व में उपनिरीक्षक रंजीत तोमर की टीम ने साल भर में 10 से ज्यादा महिलाओं को गिरफ्तार किया है। इनमें हरिद्वार के साथ ही कई महिलाएं देहरादून तो कुछ सहारनपुर तक स्मैक लेकर जा रही थीं।

    कभी बस तो कभी रेल में सवार

    हाल ही में पकड़ी गई कुछ महिलाओं ने पूछताछ में कबूल किया कि उन्हें मामूली पैसे के लालच में तस्करी के लिए तैयार किया गया। वहीं, कुछ मामलों में परिवार के ही पुरुष सदस्य मुख्य रूप से इस रैकेट को चला रहे हैं।

    पुलिस की आंखों में धूल झौंकने के लिए माफिया के कहने पर महिलाएं कभी रोडवेज बस तो कभी रेल में सफर करती हैं। खासतौर पर जिन रोडवेज बसों या ट्रेन में भीड़ होती है, सफर के लिए उनको चुना जाता है। ताकि भीड़ के चलते पकड़ में न आ सके। भीड़ के बीच महिलाओं पर नजर रखने और तलाशी लेना पुलिस के लिए चुनौती होता है।

    यह बात सही है कि नशा माफियाा स्मैक सहित अन्य नशे में तस्करी के लिए महिलाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। तस्करी के इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए लगातार निगरानी बढ़ाई गई है। रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और बॉर्डर चेकिंग प्वाइंट पर विशेष टीमों को तैनात किया गया है। आमजन को भी ऐसी कोई जानकारी मिले तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।- प्रमेंद्र डोबाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार