Bhai Dooj 2023: 14 या 15 नवंबर कब है भाई दूज? इतने बजे से पहले करें तिलक; जानिए इस त्योहार की मान्यता
Bhai Dooj 2023 भाई-बहन के त्योहार भैया दूज के पर्व को लेकर इस बार कुछ संशय की स्थिति है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 15 नवंबर को ही भैया दूज का पर्व मनाना उचित रहेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।

जागरण संवाददाता, रुड़की। भाई-बहन के त्योहार भैया दूज के पर्व को लेकर इस बार कुछ संशय की स्थिति है। दरअसल, द्वितीया तिथि दो दिन विद्यमान रहेगी। ऐसा अमावस्या तिथि का मान बढ़ने से हुआ है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 15 नवंबर को ही भैया दूज का पर्व मनाना उचित रहेगा।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। 14 नवंबर को प्रतिपदा तिथि दोपहर लगभग दो बजे तक रहेगी। इसके बाद द्वितीय लग जाएगी। जो अगले दिन 15 नवंबर को दोपहर लगभग पौने दो बजे समाप्त हो जाएगी।
15 नवंबर को त्योहार मनाना सही
श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल के अनुसार उदय कालीन द्वितीय 15 नवंबर को होने से इसी दिन भाई दूज का पर्व मनाना शास्त्र सम्मत होगा। उन्होंने बताया कि भाई दूज का पर्व यम और उनकी बहन यमुना से प्रारंभ हुआ है। इस दिन भाइयों को अपनी बहन के घर भोजन करने से यम की पीड़ा नहीं सताती है।
ये है मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार सूर्यपुत्र यम और उनकी पुत्री यमुना में अगाध प्रेम था, लेकिन बार-बार बहन के बुलाने पर भी यमदेव उनके पास नहीं पहुंच पाते थे। एक बार यमुना द्वारा विशेष आग्रह करने पर यमदेव बहन यमुना के घर गए। यमुना ने भाई का स्वागत किया और उन्हें भोजन कराया। यमदेव ने बहन को वरदान दिया कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन जिसे यम द्वितीया कहते हैं, जो भी भाई बहन के घर भोजन करेगा उसे कभी भी उनकी पीड़ा नहीं सताएगी। इसी उपलक्ष्य में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से यम की पीड़ा नहीं सताती है और दीर्घायु की भी प्राप्ति होती है।
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15 नवंबर को दोपहर 1:45 बजे से पहले करें तिलक
आचार्य राकेश कुमार शुक्ल के अनुसार 15 नवंबर को दोपहर पौने दो बजे से पहले कभी भी बहनें भाई को तिलक कर सकती हैं। बुधवार का दिन और शुक्रमा योग में भाई दूज का पर्व पड़ने से इसका विशेष महत्व होगा। इस दिन शनि देव व यम की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलेगी। इस दिन भगवान सूर्य की भी पूजा करने का विधान बताया गया है।
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