इस बार वट सावित्री व्रत पर अद्भुत संयोग, सुहागिनों को मिलेगा 100 गुना ज्यादा फल; यह है पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार वट सावित्री व्रत पर सोमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग बन रहा है जिससे सुहागिनों को 100 गुना अधिक फल मिलेगा। यह व्रत 26 मई को रखा जाएगा। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है जिससे पति की दीर्घायु प्राप्त होती है। आचार्य राकेश कुमार शुक्ल के अनुसार पूजा का शुभ मुहूर्त 26 मई को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट के बाद है।

जागरण संवाददाता, रुड़की। वट सावित्री व्रत पर इस बार सोमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग बन रहा है। इस संयोग के बनने से व्रतियों को 100 गुना अधिक फल की प्राप्ति होगी। वट सावित्री व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए होता है। इस बार यह व्रत 26 मई को रखा जाएगा।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। जबकि कुंवारी कन्याओं के इस व्रत को करने से उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
26 मई को सोमवार
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने के अनुसार इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई को सोमवार के दिन है। सोमवार के दिन पड़ने से सोमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि इस संयोग के बनने के फलस्वरूप व्रतियों को 100 गुना अधिक फल की प्राप्ति होगी। इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने का विधान है।
ऐसा माना जाता है कि जो सौभाग्यवती स्त्री इस दिन वट वृक्ष की पूजा करके उसकी परिक्रमा करती है उसे पति की दीर्घायु प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार वट सावित्री व्रत को करके सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस प्राप्त किए थे। जहां यह व्रत अखंड सौभाग्य देता है वहीं इस व्रत को करने से पितरों को भी प्रसन्नता प्राप्त होती है।
पूजा के लिए इस समय होगा मुहूर्त
- आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि 26 मई को वट सावित्री व्रत की पूजा करने का मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 10 मिनट के बाद प्रारंभ होगा।
- अमावस्या तिथि का प्रारंभ दोपहर लगभग 12 बजकर 10 मिनट पर होगा।
- 27 मई को सुबह करीब 8 बजकर 30 मिनट पर अमावस्या तिथि का समापन होगा।
- मध्यान्ह व्यापिनी न होने से यह व्रत 26 मई को ही किया जाना शास्त्र सम्मत होगा।
भगवान शिव और माता पार्वती की करें पूजा
वट सावित्री व्रत करने के लिए रक्षा सूत्र, रोली, चंदन, सिंदूर, सुपारी, नारियल, दीपक, कलश, इत्र, लाल वस्त्र, मिष्ठान तथा मौसमी फल रखकर वट वृक्ष के पास भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। कच्चा सूत्र लपेटते हुए वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करनी चाहिए।
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