जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Uttarkashi Cloudburst दैनिक जागरण से सुक्की गांव निवासी एवं पूर्व सैनिक मोहन सिंह राणा ने हर्षिल घाटी में घटित तबाही का मंजर बयां किया।
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मोहन सिंह कहते हैं कि हर्षिल घाटी में तीन दिन से हो रही वर्षा और पहाड़ों पर पसरा कोहरा खतरे की चुपचाप तैयारी कर रहा था।
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पहले झिंडा बुग्याल के ऊपर से एक अजीब-सी गर्जना सुनाई दी। आवाज ऐसी थी जैसे कोहरे के अंदर से सैलाब फूटा हो।
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कुछ ही मिनटों में खीरगंगा ने धराली को तबाह कर दिया। तेल गंगा ने हर्षिल में तबाही मचाकर झील बना दी और भेला नदी ने भागीरथी का उफान और अधिक बढ़ा दिया।
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मोहन सिंह कहते हैं कि हर्षिल घाटी में भागीरथी नदी के बायीं ओर की पहाड़ी पर स्थित श्रीकंठ ग्लेशियर से निकलकर झिंडा बुग्याल होते हुए खीर गंगा ने धराली में तबाही मचाई।
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हिमाल और मैनक ग्लेशियर से निकलने वाली तेल गंगा ने हर्षिल आर्मी कैंप व हर्षिल गांव के गेट व हेलीपैड को ध्वस्त किया। जबकि, अवाना ग्लेशियर से निकलने वाली भेला नदी का उफान सुक्की डाउन में भागीरथी से मिला।
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मोहन सिंह कहते हैं कि हर्षिल घाटी में इस तरह नदियों का रौद्र रूप उन्होंने पहली बार देखा है। नदियों की गर्जना दिल को चीर रही थी। अभी भी पानी और मलबे की आवाज से कलेजा कांप उठ रहा है।
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मोहन सिंह ने बताया कि दोपहर तीन बजे के बाद से पूरा क्षेत्र जैसे कट गया है। हर्षिल, मुखवा, धराली, बगोरी और गंगोत्री धाम का बाकी दुनिया से संपर्क पूरी तरह टूट गया। इन गांवों तक पहुंचने के लिए पैदल रास्ते भी नहीं हैं।
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बगोरी के पास एक झूला पुल बगोरी गांव तक पहुंचने का विकल्प है। वह भी खतरे की जद में है। मोबाइल नेटवर्क ध्वस्त हो चुका है।
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हर्षिल में जलंध्री और कंकड़ गंगा में भी उफान आया है। इनसे कितना नुकसान हुआ है, कुछ भी पता नहीं चल रहा है।
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