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Underworld Don PP नहीं प्रकाशानंद गिरि, दाऊद को मारने गया था कराची; जूना अखाड़े का मठाधीश बनने पर हंंगामा

Underworld Don PP अंडरवर्ल्ड डॉन पीपी को जूना अखाड़े का मठाधीश बनाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आलोचनाओं के बाद जूना अखाड़ा मामले की जांच कर रहा है। श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा कि पीपी को महामंडलेश्वर या मठाधीश नहीं बनाया गया लेकिन हर किसी को सनातन की शरण में आने का अधिकार है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पीपी के अपराधिक कृत्यों पर कानून अपना काम करेगा।

By dinesh kukreti Edited By: Nirmala Bohra Updated: Sat, 07 Sep 2024 01:12 PM (IST)
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Underworld Don PP: पीपी को मठाधीश बनाने के मामले में जूना अखाड़ा बैकफुट पर

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Underworld Don PP: अल्मोड़ा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया डॉन प्रकाश पांडेय ' पीपी' (प्रकाशानंद गिरि) को जेल में ही श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा का संत और मठाधीश बनाए जाने के मामले में हो रही किरकिरी के बाद अखाड़ा प्रबंधन बैकफुट पर आ गया है। बता दें कि अंडरवर्ल्‍ड डॉन पीपी दाऊद को मारने के लिए करांची तक पहुंच गया था।

जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने मामले में जांच बैठा दी है। उन्होंने इस बात से इन्कार किया कि पीपी को अखाड़े का महामंडलेश्वर या मठाधीश बनाया गया है। हालांकि, साथ में यह भी जोड़ा कि, हर किसी को जीवन में स्वेच्छा से सनातन की शरण में आने का अधिकार है, इसलिए सनातन की शरण में आए माफिया पीपी को अकेला छोड़ उससे किनारा नहीं किया जा सकता।

पीपी के अपराधिक कृत्यों से अखाड़े का कोई लेना-देना नहीं

कहा कि अखाड़ा पीपी की धार्मिक यात्रा में सहयोग करेगा। बाकी उसके अपराधिक कृत्यों पर कानून अपना काम करेगा। शुक्रवार को जूना अखाड़ा के ब्रह्मलीन संत महायोगी पायलट बाबा के षोडसी भंडारे के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा कि पीपी के अपराधिक कृत्यों से अखाड़े का कोई लेना-देना नहीं है। उसके लिए कानून है।

मोटी रकम लेकर पीपी को जेल में ही संत बनाए जाने संबंधी आरोप पर उन्होंने कहा कि अलबत्ता तो ऐसा नहीं है, लेकिन उन्होंने इस मामले में अखाड़े के सात पदाधिकारियों की जांच समिति बनाई है, जिसमें पूर्व और वर्तमान पदाधिकारी शामिल हैं। अगर जांच में आरोप सही साबित होते हैं तो पीपी को दीक्षा देने वाले आरोपित संतों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा।

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विदित हो कि माफिया डान को बीते गुरुवार को शिक्षक दिवस के मौके पर नागा संन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के थानापति राजेंद्र गिरि की अगुआई में 11 संतों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल तीन सदस्यों ने अल्मोड़ा जेल के भीतर जाकर दीक्षा दी।

साथ ही पीपी को अंसेश्वर मठ, मुनस्यारी माता का मठ, गंगोलीहाट में लमकेश्वर, यमुनोत्री में भैरव और भद्रकाली मंदिर का उत्तराधिकारी यानी मठाधीश बनाए जाने की घोषणा की थी। यह जानकारी अखाड़े के संतों ने अल्मोड़ा में पत्रकारों को दी थी।

राधे मां को भी इसी तरह बनाया गया था महामंडलेश्वर

माफिया डान पीपी को प्रयागराज कुंभ से पहले अखाड़े का मठाधीश बनाकर चर्चा में आए श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े में इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। वर्ष 2013 में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) कुंभ से पहले मुंबई की चर्चित संत राधे मां को हरिद्वार में आयोजित कार्यक्रम में अखाड़े का महामंडलेश्वर बना दिया गया था।

विवाहित राधे मां को अचानक अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर जब किरकिरी होने लगी तो तब भी अखाड़ा प्रबंधन ने यही किया। अखाड़ा प्रबंधन जिसमें श्रीमहंत हरिगिरि भी शामिल थे, ने राधे मां की महामंडलेश्वर की पदवी को निलंबित करते मामले की जांच के लिए समिति का गठन कर दिया था।

साथ ही बतौर महामंडलेश्वर उनके इलाहाबाद कुंभ-2013 में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। तब भी यही आरोप लगे थे कि महामंडलेश्वर बनाने के लिए अखाड़े के संतों ने राधे मां से मोटी रकम ली थी। हालांकि इन आरोपों की पुष्टि नहीं हुई और न अखाड़े की जांच समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई। कुछ दिन मामला भी ठंडा पड़ गया।

पीपी को दीक्षा पर जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल

अल्मोड़ा जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डान प्रकाश पांडे उर्फ पीपी को जूना अखाड़े के मठों व आश्रमों का उत्तराधिकारी बनाने व कारागार में दीक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। उद्यान घोटाले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाने वाले सामाजिक व आरटीआइ कार्यकर्ता दीपक करगेती ने इसे संत समाज का अपमान करार देते हुए पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच पर जोर दिया है।

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एसडीम राहुल आनंद के माध्यम से सीएम को भेजे पत्र में सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने कहा है कि जूना अखाड़े के कुछ तथाकथित साधुओं ने अल्मोड़ा जेल में पीपी को दीक्षा दी है। इसमें जेल प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध है।

कहा कि सनातन आस्था की आड़ में एक बड़े अपराधी को मठों का उत्तराधिकारी बनाया जाना बेहद गंभीर है। ऐसे तो हर जघन्य अपराधी मठ व आश्रमों का सहारा लेना शुरू कर देगा। इस परंपरा से वास्तविक साधु समाज में भय का माहौल रहेगा।

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