UKPSC : सिविल जज जेडी की मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी, 13 पदों के लिए मांगे थे आवेदन
UKPSC उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिविजन) 2021 की मुख्य एवं कंप्यूटर परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया गया है। आयोग ने 2021 में विज्ञापन जार ...और पढ़ें

टीम जागरण, हरिद्वार : UKPSC : उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की ओर से उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिविजन) 2021 की मुख्य एवं कंप्यूटर परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया गया है। आयोग की ओर से पीसीएस-जे के 13 पदों के लिए 15 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए सफल घोषित किया गया है।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत ने बताया कि आयोग की ओर से दो से पांच अगस्त-2022 के बीच उत्तराखंड पीसीएस-जे 2021 की मुख्य लिखित और कंप्यूटर परीक्षा का आयोजन किया गया था। इन दोनों परीक्षा में आयोग की ओर से 15 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है।
पीसीएस-जे के 13 पदों के लिए मांगे थे आवेदन
अभ्यर्थियों के प्राप्तांक एवं कट आफ मार्क्स से संबंधित सूचना अंतिम चयन परिणाम घोषित किए जाने के पश्चात आयोग की वेबसाइट psc.uk.gov पर जारी किए जाएंगे। आयोग ने 2021 में विज्ञापन जारी कर पीसीएस-जे के 13 पदों के लिए आवेदन मांगे थे।
बताया कि साक्षात्कार की तिथि के संबंध में वेबसाइट पर अलग से सूचना प्रदान की जाएगी। इस संबंध में आयोग की वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी अपलोड कर दी गई है।
श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान प्रतियोगिता में पांच हजार से अधिक विद्यार्थियों ने लिया भाग
वहीं अध्यात्म चेतना संघ की ओर से दसवीं श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान प्रतियोगिता में 15 विद्यालयों के कक्षा छह से आठ तक के करीब पांच हज़ार विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।प्रतियोगिता प्रभारी अरुण कुमार पाठक के बताया कि इस प्रतियोगिता की तैयारी करने के लिये विद्यार्थियों को एक माडल पेपर तथा श्रीमद्भगवद्गीता की साफ्ट प्रतियां पहले ही उपलब्ध करा दी गयी थीं।
यही कारण था कि विद्यार्थियों ने इस प्रतियोगिता के प्रति अच्छा ख़ासा उत्साह देखा गया। प्रतियोगिता के विजेताओं को 18 दिसंबर को गौतम फार्म, कनखल में आयोजित होने वाले विराट श्रीमद्भगवद्गीता महोत्सव के दौरान सम्मानित किया जाएगा। प्रत्येक विद्यालय के सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी को प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
अध्यात्म चेतना संघ के संस्थापक और संचालक तथा कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र ने बताया कि पिछले दो वर्षों में इस प्रतियोगिता को कोरोना महामारी के कारण सांकेतिक रूप से वार्षिक कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के बीच ही कराया जा सका था। तीन साल बाद स्कूली छात्रों के लिये इसे दोबारा आयोजित किया गया है।

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